नई दिल्ली, 19 जून (आईएएनएस)। संसद भवन परिसर में मूर्तियों के स्थानांतरण को लेकर भाजपा और विपक्ष के बीच चल रही जुबानी जंग के बीच कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बुधवार को लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति को पत्र लिखा। पत्र में उन्होंने मूर्तियों को उनके मूल स्थान पर पुनः स्थापित करने की मांग की।
खड़गे ने पत्र में आरोप लगाया, "संसद भवन परिसर में महात्मा गांधी और डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर सहित कई महान नेताओं की मूर्तियों को उनके मूल प्रमुख स्थानों से हटाकर एक अलग कोने में स्थानांतरित कर दिया गया है।"
उन्होंने कहा कि मूर्तियों को हटाना "हमारे लोकतंत्र की मूल भावना का उल्लंघन है" और कहा कि संसद भवन के सामने महात्मा गांधी की मूर्ति को उचित विचार-विमर्श के बाद रखा गया था और यह भारत की लोकतांत्रिक राजनीति में भी बहुत महत्व रखती है।
"दशकों से, इस स्थान ने पवित्र मूल्य ग्रहण कर लिया था। कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, "सांसदों और आगंतुकों ने महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित की और महात्मा की भावना को अपने भीतर समाहित किया। यह वह स्थान है, जहां सांसदों ने लोकतांत्रिक तरीके से लोगों की चिंताओं को आवाज दी और सरकार का ध्यान आकर्षित कर उचित समाधान की मांग की।"
बाबासाहेब की प्रतिमा को स्थानांतरित करने पर आपत्ति जताते हुए उन्होंने अपने छात्र जीवन के अनुभवों का हवाला दिया और कहा कि इस सुविधाजनक स्थान पर लोगों को उनकी जयंती और पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि देने के लिए निर्बाध आवाजाही की सुविधा थी।
खड़गे ने लिखा, "1960 के दशक के मध्य में अपने छात्र जीवन के दौरान, मैं संसद भवन के परिसर में प्रतिमा स्थापित करने की मांग करने वालों में सबसे आगे था। इस तरह के ठोस प्रयासों के परिणामस्वरूप अंततः डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर की प्रतिमा को उस स्थान पर स्थापित किया गया, जहां वह पहले रखी गई थी। मैं यह दुख के साथ कहने के लिए बाध्य हूं कि यह सब अब मनमाने और एकतरफा तरीके से खत्म कर दिया गया है।"
महात्मा गांधी, बीआर अंबेडकर और अन्य राष्ट्रीय प्रतीकों की मूर्तियों को उनके मूल स्थान पर पुनः स्थापित करने की मांग करने वाला खड़गे का पत्र 24 जून से शुरू हो रहे 18वीं लोकसभा के पहले संसद सत्र से पहले आया है।
विशेष रूप से, संसद परिसर के अंदर राष्ट्रीय प्रतीकों और स्वतंत्रता सेनानियों की मूर्तियों को स्थानांतरित करने पर विपक्ष ने केंद्र के कदम के खिलाफ विरोध जताया।
हालांकि सरकार ने विपक्ष के आरोपों को खारिज कर दिया और कहा कि मूर्तियों को एक ‘प्रेरणा स्थल’ पर एक ही स्थान पर रखने से आगंतुकों को देश की समृद्ध विरासत की बेहतर जानकारी मिलेगी।
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