नई दिल्ली, 15 अप्रैल (आईएएनएस)। 'विकसित भारत एंबेसडर' कार्यक्रम में आध्यात्मिक गुरु और आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक श्रीश्री रविशंकर ने मुंबई और दिल्ली में शिरकत की। इस दौरान उन्होंने विकसित भारत पर अपनी राय रखी। श्रीश्री रविशंकर ने कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर प्रशंसा की। उन्होंने राम मंदिर, नई शिक्षा नीति, रूस-यूक्रेन युद्ध, तमिल संस्कृति समेत तमाम मुद्दों को लेकर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि मैं गर्व से कह सकता हूं, देश की व्यवस्था में वो परिवर्तन आया है, जिसमें हम अपनी आस्था को आगे लेकर जा सकते हैं। गलत काम करने के लिए शर्मिंदा होना चाहिए। कुछ दशक से पहले खुलेआम चोरी करो और छुप-छुपके धर्म को मानो। पूजा पाठ करने और तिलक लगाने में शर्मिंदा होते थे। तिलक लगाते थे, उसको पोंछकर ऑफिस जाते थे। व्यवस्था और व्यक्ति में आस्था, दोनों होनी चाहिए।
श्रीश्री ने कहा कि तमिल संस्कृति इतनी विशाल संस्कृति रही है। हमारे प्रधानमंत्री मोदी ने तमिलनाडु को काफी महत्व दिया है। तमिल चार देश की राष्ट्रीय भाषा घोषित हुई है। मलेशिया, सिंगापुर, श्रीलंका और भारत। आप नहीं जानते होंगे कि जापानी लैंग्वेज में 70 प्रतिशत तमिल भाषा के शब्द हैं। ऐसी संस्कृति और सभ्यता के बारे में हम शर्म करते रहे। इसका गर्व हम महसूस नहीं करते थे। हम लोग बेवकूफ नहीं थे तो क्या थे?
इसके अलावा आध्यात्मिक गुरु श्रीश्री ने रूस-यूक्रेन का जिक्र करते हुए कहा कि आज जब दुनिया युद्ध की कगार पर खड़ी है, भारत ही एक आशा की किरण बनकर निकला है। हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस-यूक्रेन के बीच जो द्धंद था, ऐसे में दोनों पक्ष की तरफ से दबाव था कि आप हमारे साथ हैं या नहीं। इस प्रकार का सवाल पूछकर हमको दरकिनार करने की चेष्टा कर रहे थे, उस वक्त दृढ़ता से खड़े होकर के हम सबके साथ रहे। अगर भारत मजबूती से खड़ा नहीं होता तो हमारे देश का आर्थिक विकास बहुत पीछे रह जाता। जैसे कई देशों में हो चुका है।
श्रीश्री रविशंकर ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी बड़ी शिव भक्त थी। जब देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी शिवजी को मानती थीं। काशी विश्वनाथ मंदिर को ऐसी व्यवस्था करने में हमें 70 साल क्यों लगे? उन्होंने कहा, "हमने सुना है कि महात्मा गांधी ने भी कहा था, मुझे दुख हो रहा है काशी की व्यवस्था देखकर। आज आप देखकर वहां कहोगे, काशी विश्वनाथ विराजमान हुए हैं। ये सब एक विकसित भारत के लक्षण हैं।"
श्रीश्री रविशंकर ने कहा कि हमारी इच्छा क्या होनी चाहिए, सब सुखी रहें और सरकार भी यही चाहती है कि सबका विकास, सबकी प्रगति और सबका साथ, ये सबके लिए होना चाहिए। देश के लाखों युवा एंटरप्रेन्योर बनना चाहते थे, उनकी इच्छा तो इच्छा बनकर रह जाती। यदि सरकार उनको सहयोग नहीं करती। कई बार तो ऐसा होता था कि स्कीम तो आ गई, मगर इंप्लीमेंट नहीं होता था। दशकों बाद हमने देखा, लोगों के खाते में सीधा पैसा जा रहा है। मैं राजनीति में नहीं पड़ना चाहता हूं। लेकिन, जो सच्चाई है और जनता के लिए सुखद है, वो बातें हमको करनी पड़ेगी।
उन्होंने देश की नई शिक्षा नीति पर कहा कि इससे हमारे देश के टैलेंटेड बच्चों को आगे बढ़ने का मौका मिल रहा है। हमारे देश के बच्चों की प्रतिभा निखर सकती है। इसमें इतनी सारी चीजें हैं। हमारे युवाओं को खेलने के लिए मौका मिल रहा है, इसलिए मैं कहूंगा कि भारत निश्चित ही विकसित भारत बन रहा है।
श्रीश्री रविशंकर ने कहा कि जो बुद्धि से भ्रष्ट होता है, वही फ्री की चीजों के पीछे भागता है। लेकिन, स्वाभिमानी व्यक्ति कभी भी मुफ्त के पीछे नहीं दौड़ता है। पीएम मोदी के नेतृत्व की तारीफ करते हुए श्रीश्री रविशंकर ने कहा कि पूरी दुनिया में आज जितना अच्छा काम हुआ है, हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व की वजह से माहौल बदला है। देश में एक ऐसा व्यक्ति चाहिए जो लोगों के मन की बात समझे, धरोहर को समझे और दुनिया को समझे और ये तीनों काम संपन्न होने से आज हमको कितना हर्ष हो रहा है। रामराज्य का यही सपना था कि इस देश के हर गरीबों के आंसू पोंछे जाए और उन्हें रोटी, कपड़ा मिल जाए। साथ ही साथ उन्हें सूकुन मिले।
राम मंदिर का जिक्र करते हुए श्रीश्री रविशंकर ने कहा कि 500 सालों के बाद अयोध्या में भव्य राम मंदिर बना। मंदिर बनने में कितना समय लग जाता है। लेकिन, इतने कम समय में ऐसे भव्य राम मंदिर का बन जाना, एक कल्पना के बाहर की बात है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद इतने सारे काम के बीच में हर डिटेल पर ध्यान देते थे। उसकी जिम्मेदारी उठा रहे थे। वो अपनी संस्कृति के संरक्षण और विज्ञान को एक उच्च स्तर पर ले जाने की बात कर रहे हैं, जिसमें हम कामयाब हुए हैं।
--आईएएनएस
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