लुधियाना (आई-ग्रेन इंडिया)। वर्ष 2020-21 के रबी मार्केटिंग सीजन के दौरान पंजाब में गेहूं की कुल सरकारी खरीद तेजी से बढ़कर 132.22 लाख टन के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया था लेकिन 2021-22 के मार्केटिंग सीजन में यह घटकर 96.45 लाख टन पर सिमट गया। इसका प्रमुख कारण मार्च 2022 में वहां भयंकर गर्मी पड़ने, तापमान अत्यन्त ऊंचा रहने तथा हीटवेव का प्रकोप रहने से गेहूं के उत्पादन में काफी गिरावट आना था। गेहूं के दाने की क्वालिटी भी खराब हो गई थी।
2021-22 सीजन के दौरान पंजाब में गेहूं की सरकारी खरीद घटकर पिछले 15 वर्षों के निचले स्तर पर आ गई थी जबकि 2020-21 की तुलना में 27 प्रतिशत कम रही थी। स्मरणीय है कि 2021-22 के मार्केटिंग सीजन के दौरान पंजाब की मंडियों में कुल मिलाकर 104.34 लाख टन गेहूं की आवक हुई थी। सरकारी एजेंसियों के अलावा वहां प्राइवेट व्यापारियों एवं फ्लोर मिलर्स द्वारा करीब 8 लाख टन गेहूं की खरीद की गई।
जहां तक 2022-23 के वर्तमान सीजन का सवाल है तो पंजाब में पहले 170-175 लाख टन गेहूं के शानदार उत्पादन का अनुमान लगाया गया था जिसके आधार पर केन्द्र सरकार ने वहां इसकी खरीद का लक्ष्य बढ़ाकर 130 लाख टन निर्धारित कर दिया। लेकिन मार्च की प्राकृतिक आपदाओं से एक बार फिर वहां गेहूं की फसल को भारी नुकसान होने की आशंका है जिससे सरकारी खरीद पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
पिछले साल गर्मी के कारण वहां फसल क्षतिग्रस्त हुई थी जबकि चालू वर्ष के दौरान मूसलाधार बेमौसमी वर्षा, ओलावृष्टि एवं तूफानी हवा से फसल को भारी नुकसान होने की आशंका है। राज्य कृषि विभाग के आरंभिक आंकलन के अनुसार पंजाब में इस बार 34.90 लाख हेक्टेयर में गेहूं की खेती हुई थी जिसमें से 13.46 लाख हेक्टेयर में फसल प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित हुई है। गत वर्ष की भांति इस बार भी गेहूं पर असर पड़ा है और मंडियों में इसकी आवक कम हो रही है। इसके अलावा फ्लोर मिलर्स एवं व्यापारी अधिक से अधिक मात्रा में गेहूं खरीदने का प्रयास कर रहे हैं जिससे सरकारी खरीद नियत लक्ष्य तक पहुंचना मुश्किल लगता है। मालूम हो कि पंजाब केन्द्रीय पूल में गेहूं का सर्वाधिक योगदान देने वाला राज्य है।