नई दिल्ली (आई-ग्रेन इंडिया)। मेस बैंक एवं फिक्की द्वारा जारी एक रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2021 से 2031 के दौरान भारत में ज्वार खाद्य वायदा के उत्पादन में सालाना औसतन 1.34 प्रतिशत की बढ़ोत्ती होने की उम्मीद है जबकि इसकी मांग एवं खपत की वार्षिक वृद्धि दर 1.82 प्रतिशत रहने की संभावना है। इस तरह उत्पादन की तुलना में मक्का की खपत दर ऊंची रहेगी। इसके अलावा पशु आहार निर्माण उद्योग में मक्का के उपयोग की भागीदारी 51 प्रतिशत के वर्तमान स्तर से बढ़कर वर्ष 2031 तक 54 प्रतिशत पर पहुंच जाने का अनुमान है जिससे देश में जीएम फसलों के उत्पादन की शुरुआत पर ध्यान केन्द्रित करने की आवश्यकता पड़ सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2021 के दौरान देश में कुल 296.60 लाख टन मक्का की खपत हुई थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि घरेलू प्रभाग में मक्का की कुल खपत में से 29 प्रतिशत भाग का उपयोग मानवीय प्रत्यक्ष खाद्य उद्देश्य में होता है जबकि जैव ईंधन के निर्माण में केवल 1.4 प्रतिशत का इस्तेमाल किया जाता है। पॉल्ट्री उद्योग मक्का की सर्वाधिक खपत करता है। वर्ष 2031 तक मानवीय खाद्य उद्देश्य में मक्का के उपयोग की भागीदारी घटकर 25 प्रतिशत तक सिमट जाने का अनुमान है। दूसरी ओर यदि एथनॉल निर्माण को प्रोत्साहित करने हेतु सरकार ने नियम-प्रावधान में कोई सकारात्मक नीतिगत परिवर्तन किया तो इसमें मक्का की हिस्सेदारी बढ़ने की संभावना रहेगी।
वर्तमान समय में देश के अंदर कुल 1082 करोड़ लीटर एथनॉल के वार्षिक उत्पादन की संचित क्षमता उपलब्ध है जिसमें से 723 करोड़ लीटर के उत्पादन के लिए शीरा पर आश्रित इकाइयां है जबकि शेष 359 करोड़ लीटर के उत्पादन के लिए अनाज पर आधारित प्लांट हैं। शीरा तथा अनाज से एथनॉल निर्माण का अनुपात 67 प्रतिशत एवं 33 प्रतिशत बैठ रहा है।
रिपोर्ट के मुताबिक पिछले कुछ वर्षों के दौरान देश में पशु आहार एवं पॉल्ट्री फीड निर्माण उद्योग का तेजी से विकास-विस्तार हुआ है जिससे उसमें मक्का की मांग एवं खपत बढ़ रही है। चावल तथा गेहूं के बाद मक्का भारत में तीसरा सबसे प्रमुख अनाज माना जाता है जिसका उत्पादन खरीफ तथा रबी- दोनों सीजन में होता है। कुल खाद्यान्न उत्पादन में मक्का की भागीदारी 10 प्रतिशत रहती है।