केन्द्रीय एजेंसी- भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) तथा उसकी सहयोगी प्रांतीय एजेंसियों द्वारा देश के सभी प्रमुख उत्पादक राज्यों में किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद की आज रही है। केन्द्रीय पूल में इस महत्वपूर्ण खाद्यान्न का स्टॉक घटकर काफी नीचे आ गया है क्योंकि पिछले साल इसकी खरीद घट गई थी और सरकार की कल्याणकारी योजनाओं में अच्छी खपत भी हुई थी। सरकारी एजेंसियों द्वारा इसकी खरीद बढ़ाने का इस बार हर संभव प्रयास किया जा रहा है।
सरकार ने 2023 के वर्तमान रबी मार्केटिंग सीजन के लिए 341.50 लाख टन गेहूं की खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया है जो वर्ष 2022 की कुल खरीद 188 लाख टन से काफी ज्यादा लेकिन 2021 की खरीद 433.42 लाख टन से बहुत कम है। दरअसल गेहूं का खुला बाजार भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से ऊंचा होने के कारण सरकार को संदेह है कि किसान खुली मंडियों में ज्यादा तथा क्रय केन्द्रों पर कम गेहूं ला सकते हैं। वैसे पिछले साल की तुलना में गेहूं की सरकारी खरीद इस बार कुछ बढ़ने की उम्मीद है। गत वर्ष केन्द्रीय पूल में सर्वाधिक योगदान देने वाले तीनों प्रांतों- पंजाब, मध्य प्रदेश एवं हरियाणा में भी इसकी खरीद में भारी गिरावट आ गई थी। इस वर्ष गेहूं का थोक मंडी भाव पिछले साल से तो नीचे है लेकिन सरकारी समर्थन मूल्य से कई मंडियों में ऊपर चल रहा है। इससे खरीद में कुछ कठिनाई हो सकती है।
आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि चालू मार्केटिंग सीजन में 1 से 19 अप्रैल के बीच केन्द्रीय पूल के लिए गेहूं की खरीद बढ़कर 111.40 लाख टन पर पहुंच गई जो पिछले साल की इसी अवधि की खरीद 99.80 लाख टन से करीब 12 प्रतिशत ज्यादा है। पंजाब, हरियाणा एवं राजस्थान में प्राकृतिक आपदाओं के कारण गेहूं फसल की कटाई में देर हो गई और मंडियों में इसकी आवक की गति धीमी रही। लेकिन अब इसकी रफ्तार बढ़ने लगी है जिससे गेहूं की खरीद में बढ़ोत्तरी की उम्मीद की जा रही है। केन्द्रीय पूल में 1 अप्रैल 2023 को गेहूं का स्टॉक घटकर 83 लाख टन रह गया था जो वर्ष 2016 के बाद का निचला स्तर था। उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक इस बार 19 अप्रैल तक पंजाब में 39 लाख टन, हरियाणा में 38 लाख टन एवं मध्य प्रदेश में 32 लाख टन गेहूं खरीदा गया। बिहार में 20 अप्रैल से खरीद शुरू हुई जबकि गुजरात में गेहूं की सरकारी खरीद नहीं हो सकी।