नई दिल्ली (आई-ग्रेन इंडिया)। हालांकि टैरिफ कोटा (टीआरक्यू) प्रणाली के तहत क्रूड सोयाबीन तेल (चाहे डिगम्ड हो या न हो) तथा क्रूड सूरजमुखी तेल के आयात पर मूल सीमा शुल्क को पहले ही वापस लिया जा चुका है लेकिन इस पर 5 प्रतिशत का कृषि अवसंरचना शुल्क तथा उस पर 10 प्रतिशत का विकास उपकर सहित 5.5 प्रतिशत का शुल्क था।
अब केन्द्रीय वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग ने एक अधिसूचना जारी करके 30 जून 2023 तक की अवधि के लिए इस शुल्क को भी वापस लेने का निर्णय लिया है जो आज यानी 11 मई 2023 से लागू माना जाएगा।
राजस्व विभाग की अधिसूचना में कहा गया है कि सीमा शुल्क में इस छूट का लाभ उठाने के लिए आयातक को कस्टम विभाग के डिप्टी कमिश्नर का सहायक आयुक्त के पास एक वैध टैरिफ रेट कोटा (टीआरक्यू) प्राधिकार प्रस्तुत करना होगा जो उसे वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान विदेश व्यापार महानिदेशालय द्वारा जारी (आवंटित) किया गया था।
अधिसूचना के अनुसार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा आयातक को टीआरक्यू आवंटित किया जाता है जो सम्बद्ध प्रक्रिया के अनुरूप होता है।
इस टीआरक्यू प्राधिकार में आयातक का नाम और पता, आईईसी कोड, कस्टम अधिसूचना सं०, उप शीर्ष या टैरिफ की वस्तु, इसकी मात्रा तथा प्रमाण पत्र की वैधता अवधि आदि शामिल होगी। टीआरक्यू प्राधिकार विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा इलेक्ट्रॉनिक विधि से जारी किया जाएगा और उसे आईसीईएस सिस्टम में प्रेषित किया जाएगा। टीआरक्यू के सापेक्ष किए जाने वाले आयात की अनुमति आईईसीएस प्रणाली में इलेक्ट्रॉनिक रूप से डेबिट करने पर ही दी जाएगी।
सरकार के इस निर्णय से सोयाबीन तेल एवं सूरजमुखी तेल का आयात और भी सस्ता हो जाएगा जबकि पहले ही वैश्विक बजार में इन दोनों महत्वपूर्ण खाद्य तेलों का भाव घटकर काफी नीचे आ चुका है।
घरेलू बाजार में आयातित सस्ते खाद्य तेलों की भरमार होने से सरसों एवं सोयाबीन की कीमतों पर दबाव काफी बढ़ गया है जिससे किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। सरकार के इस फैसले से उद्योग व्यापार क्षेत्र को काफी हैरानी होगी जो खाद्य तेलों पर आयात शुल्क बढ़ाने की मांग कर रहा है।