रांची, 9 मार्च (आईएएनएस)। झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य में पांच साल से कम उम्र के बच्चों की उच्च मृत्यु दर पर स्वतः संज्ञान लिया है। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा है कि बच्चों की उच्च मृत्यु दर को नियंत्रित करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं? सरकार को इस संबंध में स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया है। इस संबंध में अगली सुनवाई के लिए कोर्ट ने 10 अप्रैल की तारीख मुकर्रर की है। दरअसल, मीडिया रिपोर्टों के जरिए कोर्ट के समक्ष यह बात आई कि राज्य के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में चिकित्सकों, दवाइयों और कर्मचारियों की कमी है और बच्चों को वक्त पर सही इलाज नहीं मिल पाता। राज्य के सरकारी अस्पतालों में भी बदइंतजामी से लेकर डॉक्टरों की कमी जैसे तथ्य भी अदालत की जानकारी में आए।
गौरतलब है कि झारखंड में प्रत्येक 1,000 में से 25 बच्चों की मौत उचित पोषण और इलाज के अभाव में हो जाती है। कोर्ट ने मीडिया रिपोर्टों में सामने आए तथ्यों के आधार पर राज्य सरकार से यह भी पूछा है कि झारखंड के सुदूर ग्रामीण इलाकों में सर्पदंश से होने वाली मौतों को रोकने के लिए प्राइमरी हेल्थ सेंटर्स, कम्युनिटी हेल्थ सेंटर्स और हॉस्पिटलों में एंटीवेनम दवाइयों की उपलब्धता की क्या स्थिति है?
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