iGrain India - नई दिल्ली । वर्ष 2022 में बसंतकाल के दौरान जब रूस ने यूक्रेन पर हमला करके काला सागर क्षेत्र के बंदरगाहों को जाम कर दिया तब ऐसा लगा कि वैश्विक बाजार में गेहूं की आपूर्ति में आने वाली कमी को भारत आंशिक रूप से पूरा कर देगा।
पिछले कुछ वर्षों में शानदार उत्पादन होने तथा सरकारी स्टॉक सर्वोच्च स्तर पर पहुंचने से भारत अंतर्राष्ट्रीय बाजार में गेहूं का एक महत्वपूर्ण आपूर्तिकर्ता देश बनने की अवस्था में था। अप्रैल 2021 से मार्च 2022 के दौरान भारत से गेहूं का निर्यात बढ़कर 70 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया जो 2020-21 के निर्यात से 250 प्रतिशत अधिक था।
अप्रैल 2022 में प्रधानमंत्री ने कहा था कि देश में घरेलू मांग एवं खपत को पूरा करने के लिए खाद्यान्न का पर्याप्त स्टॉक मौजूद है और ऐसा प्रतीत होता है कि भारतीय किसानों ने संसार को खिलाने का अनुबंध कर रहा रखा है।
लेकिन इसके कुछ ही सप्ताहों के बाद हालात ऐसे हो गए कि भारत सरकार ने गेहूं का निर्यात रोकने की घोषणा कर दी और इसके शिपमेंट पर प्रतिबंध लगा दिया।
विश्लेषकों के अनुसार 2022-23 के रबी सीजन के दौरान भारत में गेहूं का उत्पादन उम्मीद से काफी कम हुआ, सरकारी खरीद में भारी कमी आई और कीमतों में तेजी आने लगी। इससे घरेलू प्रभाग में खाद्य सहायता कार्यक्रम को जारी रखने में सरकार को कठिनाई होने की आशंका बढ़ गई और इसलिए गेहूं के व्यापारिक निर्यात पर पाबन्दी लगा दी गई।
मई 2022 में गेहूं के निर्यात पर जो प्रतिबंध लगाया गया था वह अब भी बरकरार है। हालांकि वैश्विक स्तर पर भारत को गेहूं का निर्यात खोलें हेतु राजी करने का भरपूर प्रयास किया गया लेकिन सरकार इसके लिए तैयार नहीं हुई।
दूसरी ओर उसने घरेलू प्रभाग में रियायती मूल्य पर गेहूं की आपूर्ति बढ़ाने का निर्णय ले लिया। इससे पूर्व कोरोना काल के दौरान लोगों को खाद्यान्न का मुफ्त वितरण भी किया गया था।
सितम्बर 2023 के आरंभ में केन्द्रीय पूल में 260.40 लाख टन गेहूं का स्टॉक मौजूद था जो वर्ष 2022 से 12 लाख टन ज्यादा मगर दस वर्षीय औसत स्टॉक से कम था। भारत से निर्यात बंद होने के कारण वैश्विक बाजार में गेहूं का भाव तेज हो गया था और कुछ आयातक देशों की कठिनाई बढ़ गई थी।