iGrain India - हैदराबाद । भारत दुनिया में मसालों का सबसे प्रमुख उत्पादक, उपभोक्ता एवं निर्यातक देश है। सरकार ने वर्ष 2030 तक देश से मसालों का कुल निर्यात बढ़ाकर 10 अरब डॉलर तक पहुंचाने का अत्यन्त महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है जो पिछले वित्त वर्ष के शुरू वास्तविक निर्यात 4 अरब डॉलर से ढाई गुणा ज्यादा है। वर्ष 2025 तक यह निर्यात बढ़कर 5 अरब डॉलर तक पहुंच जाने की उम्मीद है।
विश्व मसाला सगठन (वर्ल्ड स्पाइस ऑर्गेनाइजेशन) या (डब्ल्यूएसओ) के चेयरमैन आर के मेनन ने इस भारी-भरकम निर्यात लक्ष्य को हासिल करने के लिए दो महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं।
उनका कहना है कि भारत को मसालों की क्वालिटी का स्तर ऊंचा रखते हुए मूल्य संवर्धित मसाला उत्पादों का निर्यात बढ़ाने पर विशेष जोर देना चाहिए क्योंकि साबुत मसालों के मुकाबले इसका भाव ऊंचा रहता है। मूल्य संवर्धन से देश में रोजगार के नए अवसरों का भी सृजन होगा और नए-नए ब्रांड सामने आएंगे इसके अलावा भारतीय मसाला निर्यातकों को नए-नए बाजारों की तलाश करके उसके दोहन की कोशिश करनी चाहिए।
भारत से अभी एशिया, अफ्रीका एवं लैटिन अमरीका के अनेक देशों को समुचित मात्रा में मसालों का निर्यात नहीं हो रहा है। इसी तरह सीआईएस देशों का बाजार भी भारतीय मसालों से काफी हद तक खाली पड़ा है जबकि वहां इसके निर्यात की पर्याप्त गुंजाईश है।
चेयरमैन के अनुसार यदि 10 अरब डॉलर मूल्य के मसालों के निर्यात का लक्ष्य हासिल करना है तो इन बाजारों में सक्रियता बढ़ाना आवश्यक होगा।
पहले रूस के माध्यम से मध्य एशियाई देशों के बाजारों तक भारतीय मसालों की पहुंच सुनिश्चित होती थी मगर अब यह मार्ग बंद हो गया है इसलिए नए रास्ते की तलाश करके दोबारा उन बाजारों तक पहुंचने का प्रयास होना चाहिए।
भारत में उन सभी मसलों का उत्पादन होता है जिसकी जरूरत इन देशों को रहती है। लेकिन वहां चुनौतियां भी हैं इसलिए गंभीर प्रयास होना चाहिए।