iGrain India - मैसूर । उत्तरी कर्नाटक के कई इलाकों में हाल के दिनों में हुई अच्छी वर्षा से खासकर ब्यादगी किस्म की लालमिर्च की फसल को काफी फायदा होने की उम्मीद है। फसल की प्रगति के इस महत्वपूर्ण चरण में मौसम का अनुकूल होना किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी है।
उल्लेखनीय है कि अपनी बेहतरीन क्वालिटी, घहरे रंग की उपस्थिति एवं कम तीखेपन के कारण ब्यादगी लालमिर्च को भौगोलिक संकेतक (जीआई) टैग प्राप्त है जो इसकी विशिष्ट पहचान को दर्शाता है।
घरेलू एवं वैश्विक बाजार में इसे काफी पसंद किया जाता है। ओलियोरेसिन निर्माण उद्योग में इसकी भारी मांग रहती जबकि सामान्य उपयोग में भी इसे पसंद किया जाता है।
हुबली के व्यापारियों का कहना है कि उत्तरी कर्नाटक में काली मिटटी वाले क्षेत्र में हाल के दिनों में जो बारिश हुई है उससे ब्यादगी श्रेणी की लालमिर्च का उत्पादन बढ़ने के आसार बन गए हैं।
कुछ इलाकों में लालमिर्च की फसल पकने के चरण में पहुंच गई है और मध्य दिसम्बर से इसकी तुड़ाई-तैयारी की प्रक्रिया आरंभ हो जाने की संभावना है। सुखाई हुई ब्यादगी लालमिर्च की नई फसल जनवरी 2024 से उत्पादक मंडियों में पहुंचने लगेगी।
हालांकि सही समय पर पर्याप्त बारिश नहीं होने के कारण कर्नाटक के धारवाड़, हावेरी, गडग, बगलकोट, बेल्लारी एवं रायचूर आदि जिंसों के कुछ भागों में लालमिर्च फसल की रोपाई में कुछ देर हो गई थी लेकिन किसानों ने पूरी सक्रियता दिखाते हुए इसके क्षेत्रफल को बढ़ाने में कुछ देर हो गई थी लेकिन किसानों ने पूरी दिखाते हुए इसके क्षेत्रफल को बढ़ाने में सफलता हासिल कर ली।
पिछले मार्केटिंग सीजन के अधिकांश दिनों के दौरान ब्यादगी लालमिर्च का भाव काफी आकर्षक रहा था इसलिए इसकी खेती में किसानों ने जबरदस्त उत्साह दिखाया।
पिछले सीजन में ब्यादगी लालमिर्च का भाव उछलकर 50-60 हजार रुपए प्रति क्विंटल के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया जो उससे पूर्ववर्ती सीजन में प्रचलित मूल्य 25-30 हजार रुपए प्रति क्विंटल से दोगुना ज्यादा था।
लालमिर्च के बिजाई क्षेत्र में इस बार करीब 30 प्रतिशत का इजाफा हुआ है और अधिकांश क्षेत्रों में फसल की स्थिति काफी अच्छी दिखाई पड़ रही है। ज्ञात हो कि दो वर्ष पूर्व इस कीट की वजह से कर्नाटक, आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना में लालमिर्च की फसल को भारी क्षति हुई थी।