iGrain India - मुम्बई । भारत में 2022-23 के सम्पूर्ण मार्केटिंग सीजन (नवम्बर-अक्टूबर) के दौरान खाद्य तेलों का सकल आयात तेजी से उछलकर 165 लाख टन के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया जिसका प्रमुख कारण वैश्विक बाजार भाव का नरम रहना तथा देश में खाद्य तेलों के आयात पर सीमा शुल्क में भारी कटौती होना है।
उल्लेखनीय है कि खाद्य महंगाई को नियंत्रित करने एवं घरेलू प्रभाग में उचित मूल्य पर खाद्य तेलों की पर्याप्त आपूर्ति एवं उपलब्धता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सरकार समय-समय पर इसके आयात शुल्क में कटौती करती रहती है।
वर्तमान समय में क्रूड श्रेणी के पाम तेल, सोयाबीन तेल एवं सूरजमुखी तेल पर 5.5 प्रतिशत एवं रिफाइंड खाद्य तेल पर 12.5 प्रतिशत का आयात शुल्क लगा हुआ है।
जून 2023 में सरकार ने रिफाइंड खाद्य तेल पर आयात शुल्क को 17.5 प्रतिशत से घटाकर 12.5 प्रतिशत नियत किया था जबकि इससे पूर्व अक्टूबर 2021 में आयात शुल्क को 32.5 प्रतिशत से घटाकर 17.5 प्रतिशत पर लाया गया था क्योंकि उस समय वैश्विक बाजार में खाद्य तेलों का दाम काफी ऊंचा एवं तेज हो गया था।
सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सी) के अनुसार सीमा शुल्क में भारी कटौती होने से भारत में खाद्य तेलों का अत्याधिक आयात होने लगा। रूस से इसका आयात बढ़कर 12 लाख टन पर पहुंच गया जो 2021-22 में 4.82 लाख टन के करीब ही रहा था।
इसी तरह 2021-22 की तुलना में 2022-23 के मार्केटिंग सीजन के दौरान इंडोनेशिया से खाद्य तेलों का आयात 35 लाख टन से उछलकर 55 लाख टन के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया।
दिलचस्प तथ्य यह है कि यद्यपि 2022-23 सीजन के दौरान भारत में खाद्य तेलों का आयात तेजी से उछलकर 165 लाख टन के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा लेकिन इस पर खर्च होने वाली राशि में गिरावट आ गई।
2021-22 में 140 लाख टन खाद्य तेल के आयात पर किया गया था। निकट भविष्य में खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में बढ़ोत्तरी होना मुश्किल लगता है।