iGrain India - काठमांडू । एक गैर लाभ-हानि वाले संगठन- भारत सबकंटीनेंट एग्री फाऊंडेशन के नेपाल प्रतिनिधि का कहना है कि भारत से नेपाल को धान तथा अन्य संवर्धित सह उत्पादों का निर्यात निरन्तर जारी रहना चाहिए।
नेपाल का लघु उद्योग भारत पर काफी हद तक आश्रित है। करीब 95 प्रतिशत व्यापारी भारतीय धान पर निर्भर रहते हैं। यदि धान कारोबार के मसले को यथाशीघ्र नहीं सुलझाया गया तो नेपाल पर इसका गहरा प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
इतना ही नहीं बल्कि धान के सह उत्पाद भी वहां विभिन्न उद्योगों के लिए अत्यन्त आवश्यक है। धान के भूसे का उपयोग बॉयलर्स में किया जाता है, राइस ब्रान का इस्तेमाल पशु आहार में होता है और टुकड़ी चावल की खपत कई अन्य क्षेत्रों में की जाती है।
अगर मामले का समाधान नहीं हुआ तो इससे नेपाल में धान-चावल सहित अन्य सह उत्पादों के साथ-साथ उन वस्तुओं का दाम भी बढ़ सकता है जिसके निर्माण में इसका उपयोग बड़े पैमाने पर किया जाता है।
इसके फलस्वरूप उसकी खाद्य सुरक्षा के लिए भी गंभीर खतरा उत्पन्न होने की आशंका है। मामले का समाधान होने से न केवल कीमतों में स्थिरता आएगी बल्कि उपभोक्ताओं के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सकेगी और इसकी खाद्य सुरक्षा की स्थिति बेहतर हो जाएगी।
काठमांडू (नेपाल) में स्थित भारतीय दूतावास तथा नेपाल के उद्योग, वाणिज्य एवं आपूर्ति मंत्रालय को प्रेषित पत्र में नेपाली प्रतिनिधि राहुल कुमार अग्रवाल ने उम्मीद जताई है कि इस मुद्दे को सकारात्मक सोच के साथ सुलझाया जाएगा और दोंनों देशों के बीच आपसी सम्बन्ध सुद्रढ़ बने रहेंगे।
भारत को अपने उत्तरी पड़ोसी देश- नेपाल की चिंता रहती है और इसलिए सरकार वहां धान के निर्यात का कोटा भी आवंटित करती है।
अभी आमतौर पर भारत से टुकड़ी चावल एवं गैर बासमती सफेद चावल के व्यापारिक निर्यात पर प्रतिबंध लगा हुआ है मगर नेपाल के लिए सफेद चावल का निर्यात कोटा जारी किया गया है। भारत से डि ऑयल्ड राइस ब्रान के निर्यात पर भी पाबंदी लगी हुई है।