iGrain India - पटना । बिहार में चालू रबी सीजन के दौरान 25.50 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बिजाई का लक्ष्य रखा गया है जिसके सापेक्ष अब तक करीब 23 लाख हेक्टेयर या 94 प्रतिशत भाग में बोआई पूरी हो चुकी है।
राज्य के कुछ भागों में बोआई की प्रक्रिया अभी जारी है जिसे देखते हुए कृषि विभाग को उम्मीद है कि नियत लक्ष्य हासिल हो जाएगा। ज्ञात हो कि बिहार में खरीफ कालीन धान की कटाई-तैयारी देर से होती है और इसलिए गेहूं की बोआई में भी विलम्ब हो जाता है।
कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि देर से बिजाई वाली फसल को मौसम से कुछ खतरा हो सकता है और जनवरी के प्रथम सप्ताह के बाद यदि किसानों को गेहूं की खेती की आवश्यकता पड़े तो उन्हें केवल कम अवधि में पककर तैयार होने वाली किस्मों की ही बिजाई करनी चाहिए।
ऐसी किस्मों पर मार्च- अप्रैल की गर्मी का कम प्रभाव पड़ता है। यदि इसमें सफलता न मिले तो किसानों को बसंतकालीन मक्का एवं गरमा धान की खेती के लिए तैयारी करनी चाहिए।
विशेषज्ञों के मुताबिक एक-दो सिंचाई की व्यवस्था वाले क्षेत्र में 7-8 जनवरी तक गेहूं की बिजाई की जा सकती है जबकि फरवरी में बसंतकालीन मक्का की अगैती बिजाई शुरू की जा सकती है।
उसके बाद मार्च में विस्तारित रबी सीजन (ग्रीष्मकालीन या जायद सीजन) के दौरान मूंग, उड़द, तिल एवं अन्य फसलों की खेती की जा सकती है। उल्लेखनीय है कि बिहार के कुछ इलाकों में अब मैंथा की खेती से भी किसानों को अच्छा फायदा होने लगा है।
बिहार देश के प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में शामिल है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से यह केन्द्रीय पूल में इस महत्वपूर्ण खाद्यान्न का नगण्य योगदान दे रहा है।