iGrain India - मंगलोर । आपूर्ति पक्ष की चुनौतियों के कारण वर्ष 2023 के दौरान काजू की कीमतों में काफी उतार-चढ़ाव देखा गया। वैसे घरेलू तथा वैश्विक बाजार में मांग मजबूत बनी रही और इसलिए काजू के दाम में प्राय: तेजी का माहौल रहा।
लोगों में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ने से काजू की मांग एवं खपत में अच्छी बढ़ोत्तरी हो रही है और इसका सिलसिला चालू वर्ष के दौरान भी बरकार रहने की उम्मीद है।
पश्चिमी देशों में जैसे-जैसे लोगों को काजू के स्वास्थ्य वर्धक एवं पौष्टिक गुणों के बारे में जानकारी मिल रही है वैसे-वैसे वहां इसकी खपत भी बढ़ रही है। वैसे कीमतों पर भी इसकी मांग निर्भर करती है।
एक अग्रणी व्यापार विश्लेषक के अनुसार परिवहन खर्च में हुई बढ़ोत्तरी तथा उत्पादन में आई गिरावट सहित कुछ अन्य कारणों से काजू की आपूर्ति श्रृंखला में चुनौतियां उत्पन्न हुई और कीमतों पर इसका सीधा असर पड़ा।
इसके अलावा पश्चिम पूर्व एशिया के प्रमुख उत्पादक देशों में मौसम की अनिश्चितता एवं प्रतिकूल स्थिति के कारण कच्चे काजू का उत्पादन प्रभावित हुआ। इससे भी काजू की पैदावार, आपूर्ति एवं कीमत पर असर पड़ा।
इतना ही नहीं बल्कि कुछ भू-राजनैतिक परिदृश्य भी काजू कारोबार के लिए महत्वपूर्ण साबित हुआ जिसमें खासकर व्यापारिक नीतियों एवं वैश्विक संबंधों को शामिल किया जा सकता है। प्रमुख काजू निर्यातक देशों के बीच बेहतर समन्वय और प्रतिस्पर्धा ने भी बाजार को प्रभावित किया।
भारत में हाल के वर्षों के दौरान काजू की मांग एवं खपत में भारी इजाफा हुआ है। रिटेल मार्केट फ्लेवर्ड एसोर्टेड काजू उत्पादों की भागीदारी तेजी से बढ़ी है।
लेकिन आगामी समय में सस्ते दाम पर उपलब्ध अन्य हल्के-फुल्के स्नैक्स पर लोगों का ध्यान केन्द्रित हो सकता है जिससे काजू के कारोबार पर असर पड़ने की संभावना है। भारत संसार में काजू का सबसे बड़ा उपभोक्ता देश बना हुआ है।
यहां संसार के लगभग आधे कच्चे काजू की प्रोसेसिंग होती है जबकि प्रसंस्कृत काजू की कुल वैश्विक खपत में भारत की भागीदारी 40 प्रतिशत के करीब रहती है। इसके बाजार का आकार वर्ष 2023 के 2.31 अरब डॉलर से बढ़कर वर्ष 2028 में 2.79 अरब डॉलर पर पहुंचने की उम्मीद है।