iGrain India - बंगलौर । थोक मंडियों में आपूर्ति कम होने तथा परम्परागत खपत क्षेत्रों में मांग मजबूत रहने से मक्का के दाम में अक्टूबर 2023 से अब तक करीब 20 प्रतिशत का भारी उछाल आ चुका है।
पशु आहार, पॉल्ट्री फीड तथा स्टार्च निर्माण उद्योग के साथ-साथ अब एथनॉल उत्पादन में भी मक्का की मांग एवं खपत तेजी से बढ़ती जा रही है जबकि इसके मुकाबले आपूर्ति कम हो रही है।
दक्षिण भारत के एक प्रमुख व्यापारिक केन्द्र- दावणगेरे मंडी में मक्का का मॉडल मूल्य (जिस पर सर्वाधिक कारोबार होता है) अक्टूबर के आरंभ में घटकर 1850 रुपए प्रति क्विंटल के आसपास चल रहा था जो न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भी नीचे था मगर वर्तमान समय में यह उछलकर 2310 रुपए प्रति क्विंटल की ऊंचाई पर पहुंच गया है।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार देश के अन्य प्रमुख उत्पादक राज्यों की महत्वपूर्ण मंडियों में भी पिछले दो-तीन महीनों के दौरान मक्का के दाम में अच्छी बढ़ोत्तरी हुई है।
आगामी दिनों के दौरान भी इसकी कीमतों में मजबूती का माहौल बरकरार रहने की संभावना है। उल्लेखनीय है कि सरकार ने 2023-24 के मार्केटिंग सीजन के लिए मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2090 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित कर रखा है।
पॉल्ट्री फीड एवं पशु आहार निर्माण उद्योग पर मक्का के दाम में हो रही बढ़ोत्तरी का गंभीर असर पड़ सकता है। खरीफ कालीन मक्का फसल की कटाई-तैयारी समाप्त हो चुकी है और अब मंडियों में इसकी आवक 25-30 प्रतिशत घट गई है।
खरीफ सीजन में गर्म एवं शुष्क मौसम के कारण मक्का की फसल प्रभावित हुई। रबी कालीन मक्का की अभी बिजाई हुई है और इसके नए माल की आवक मार्च-अप्रैल में जोर पकड़ेगी।
उद्योग समीक्षकों के अनुसार कुछ माह पूर्व मक्का का फैक्टरी डिलीवरी भाव 21000/22000 रुपए प्रति टन चल रहा था जो अब उछलकर 24000/25000 रुपए प्रति टन पर पहुंच गया है।
आगे कीमतों में और तेजी आने की संभावना को देखते हुए बड़े-बड़े उत्पादकों तथा स्टॉकिस्टों ने मक्का का स्टॉक पकड़ना शुरू कर दिया है।
सरकार ने एथनॉल निर्माण में मक्का के उपयोग की अनुमति प्रदान कर दी है जबकि पहले से ही परम्परागत खपत वाले उद्योगों के लिए इसकी उपलब्धता कम है।
एक एसोसिएशन ने सरकार से मक्का के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति देने का आग्रह किया है। फिलहाल मक्का पर 50 प्रतिशत का आयात शुल्क लगा हुआ है।
समीक्षकों के अनुसार बाजरा, रागी एवं चावल जैसे वैकल्पिक अनाजों का भाव ऊंचा होने से मक्का की मांग बढ़ी है और इसलिए कीमतों में नियमित रूप से इजाफा हो रहा है।