iGrain India - नई दिल्ली । सरकारी गोदामों में गेहूं का स्टॉक घटकर गत सात वर्षों के निचले स्तर पर आ गया है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) एवं प्रांतीय एजेंसियों के पास 1 जनवरी 2024 की संयुक्त रूप से 163.50 लाख टन गेहूं का स्टॉक उपलब्ध था जो वर्ष 2017 के स्टॉक 137.50 लाख टन के बाद का न्यूनतम स्तर था।
लेकिन यह स्टॉक 1 जनवरी 2024 के लिए न्यूनतम अनिवार्य बफर मात्रा 138 लाख टन से अधिक है। इसमें 108 लाख टन का सामान्य चालू स्टॉक एवं 30 लाख टन का रणनीतिक स्टॉक शामिल है।
दूसरी ओर केन्द्रीय पुल में 1 जनवरी 2024 को समग्र रूप से 516.50 लाख टन चावल का स्टॉक मौजूद था जिसमें धान की वह मात्रा भी शामिल है जिसकी मिलिंग से चावल प्राप्त किया जाना है। 1 जनवरी को नियमानुसार केन्द्रीय पूल में 76.10 लाख टन चावल का स्टॉक होना आवश्यक है।
इस तरह जनवरी 2024 के आरंभ में केन्द्रीय पूल में गेहूं एवं चावल (धान सहित) के साथ कुल करीब 680 लाख टन खाद्यान्न का स्टॉक उपलब्ध था जो न्यूनतम आवश्यक बफर मात्रा 214.10 लाख टन के तीन गुणा से भी ज्यादा है। इसमें 164.10 लाख टन का संचालनीय (चालू) स्टॉक तथा 50 लाख टन का रणनीतिक सटक सम्मिलित है।
गेहूं का सरकारी स्टॉक लगातार तेजी से घटता जा रहा है जबकि इसका औसत खुदरा बाजार भाव दिसम्बर 2022 की तुलना में दिसम्बर 2023 के दौरान 9.93 प्रतिशत बढ़ गया। उल्लेखनीय है कि सितम्बर 2022 से नवम्बर 2023 के लगातार 15 महीनों में गेहूं की महंगाई दर दो अंकों में रही थी जो दिसम्बर 2023 में कुछ गिरकर एक अंक में आ गई।
गेहूं का थोक मंडी भाव सरकारी समर्थन मूल्य से काफी ऊंचा चल रहा है। अगर अप्रैल तक यह घटकर नीचे नहीं आया तो खाद्य निगम को अपेक्षित मात्रा में केन्द्रीय पूल के लिए इसकी खरीद करने में भारी कठिनाई हो सकती है।
हालांकि सरकार ने गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2022-23 सीजन के 2125 रुपए प्रति क्विंटल से 150 रुपए बढ़ाकर 2023-24 सीजन के लिए 2275 रुपए प्रति क्विंटल नियत किया है और गेहूं के स्टॉक पर भी नियंत्रण लगाया है
लेकिन वह किसानों को अपना उत्पाद बेचने के लिए बाध्य नहीं कर सकती है। पिछले दो मार्केटिंग सीजन में गेहूं की सरकारी खरीद नियत लक्ष्य से काफी कम हुई और इसलिए अब स्टॉक काफी घट गया है।