iGrain India - बैंकॉक । भारत से टुकड़ी चावल एवं गैर बासमती सफेद (कच्चा) चावल के व्यापारिक निर्यात पर पूरी तरह प्रतिबंध लागू होने से वैश्विक बाजार में इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता में भारी गिरावट आ गई है।
अन्य निर्यातक देश इसकी पूरी भरपाई करने में सक्षम नहीं हैं। दूसरी ओर प्रमुख आयातक देशों में चावल की अच्छी मांग बनी हुई है। इसे देखते हुए निकट भविष्य में इस महत्वपूर्ण खाद्यान्न का वैश्विक बाजार भाव ऊंचा और मजबूत रहने की संभावना है।
थाईलैंड में अल नीनो मौसम चक्र के प्रकोप से धान का उत्पादन 6 प्रतिशत घटने का अनुमान लगाया गया है जबकि पिछले साल यानी की किल्लत को देखते हुए सरकार ने किसानों को दूसरे सीजन में धान की खेती नहीं करने का सुझाव दिया था।
इसे ध्यान में रखते हुए थाईलैंड को चावल का निर्यात बढ़ाने में भारी कठिनाई हो सकती है। लेकिन पाकिस्तान और वियतनाम की हालत बेहतर बनी हुई है। म्यांमार में उत्पादन आंशिक रूप से प्रभावित होने की आशंका है।
कीमतों का स्तर ज्यादा ऊंचा होने पर कुछ प्रमुख आयातक देश चावल की खरीद में कटौती कर सकते हैं या फिर सफेद (कच्चे) चावल के बजाए सेला चावल के आयात को प्राथमिकता दे सकते हैं।
इसमें इंडोनेशिया एवं कुछ अफ्रीकी देश भी शामिल हैं। फिलीपींस में चावल का आयात सीमित रखने का प्रयास किया जा रहा है। भारत सरकार ने कुछ देशों के लिए सफेद चावल का निर्यात कोटा जारी किया है मगर इसके अनुबंध एवं शिपमेंट की गति काफी धीमी है।
अफ्रीका के कुछ देशों में कच्चे चावल तथा कुछ अन्य देशों में सेला चावल को विशेष पसंद किया जाता है। चूंकि भारत से 20 प्रतिशत सीमा शुल्क के साथ सेला चावल का निर्यात जारी है और इसका दाम भी अपेक्षाकृत प्रतिस्पर्धी स्तर पर है इसलिए अफ्रीकी देशों में इसकी मांग मजबूत बनी हुई है।
धान-चावल के उत्पादन में गिरावट आने तथा चावल का घरेलू बाजार भाव ऊंचा रहने से सरकार की चिंता बढ़ गई है। हाल ही में केन्द्रीय वाणिज्य मंत्री ने कहा था कि चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा रहेगा और फिलहाल इसको खोलने के किसी प्रस्ताव पर विचार नहीं किया जा रहा है। सरकार का ध्यान घरेलू बाजार पर केन्द्रित है।