iGrain India - नई दिल्ली । देश के दोनों शीर्ष उत्पादक राज्यों- महाराष्ट्र एवं कर्नाटक की प्रमुख उत्पादक (थोक) मंडियों में हाल के दिनों के दौरान अरहर (तुवर) के दाम में इजाफा हुआ है जबकि आगे भी इसमें तेजी-मजबूती का माहौल बरकरार रहने की संभावना व्यक्त की जा रही है। थोक मंडी भाव ऊंचा होने से उत्पादकों को राहत मिल रही है।
नए माल की आवक बढ़ने के आसार हैं लेकिन किसान नीचे दाम पर अपना उत्पाद बेचने के लिए तैयार नहीं होंगे। सरकार भी किसानों से तुवर की खरीद बढ़ाने का प्रयास कर रही है।
कर्नाटक की कलबुर्गी मंडी में तुवर का मॉडल मूल्य 2 जनवरी के 8111 रुपए प्रति क्विंटल से उछलकर 20 जनवरी को 9850 रुपए प्रति क्विंटल, बीदर मंडी में 9593 रुपए प्रति क्विंटल तथा यद्गीर में 9760 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच गया।
उधर महाराष्ट्र की लातूर मंडी में तुवर का मॉडल मूल्य 2 जनवरी के 8550 रुपए प्रति क्विंटल से उछलकर 19 जनवरी को 10,000 रुपए प्रति क्विंटल हो गया मगर 20 जनवरी को 300 रुपए गिरकर 9700 रुपए प्रति क्विंटल पर आ गया।
लातूर के एक अग्रणी उद्यमी- व्यापारी का कहना है कि सरकारी खरीद की घोषणा के बाद अब किसान नीचे दाम पर अपनी तुवर बेचने के लिए तैयार नहीं हैं इसलिए कीमतों में उछाल आने लगा है।
सरकार ने अपनी खरीद के लिए तुवर का कोई उच्चतम या न्यूनतम भाव निश्चित नहीं किया है इसलिए ऐसा लगता है कि बाजार अगले कुछ समय तक ऊंचे स्तर पर कायम रह सकता है।
2023 के खरीफ सीजन में बिजाई क्षेत्र घटने तथा मौसम की हालत प्रतिकूल रहने के बावजूद केन्द्र सरकार ने तुवर का घरेलू उत्पादन बढ़कर 34.21 लाख टन पर पहुंचने का अनुमान लगाया है जो 2022-23 सीजन के उत्पादन 33.12 लाख टन से 1.09 लाख टन ज्यादा है।
आई ग्रेन इंडिया के डायरेक्टर राहुल चौहान के अनुसार मोजाम्बिक से अपेक्षित मात्रा में तुवर का आयात नहीं होने तथा सरकार द्वारा प्रचलित बाजार मूल्य पर खरीद का निर्णय लिए जाने से इस महत्वपूर्ण दलहन के दाम को समर्थन मिल रहा है।
तुवर, उड़द एवं मसूर के शुल्क मुक्त आयात की समय सीमा भी 31 मार्च 2025 तक बढ़ा दी गई है। देश में अरहर की औसत वार्षिक खपत बढ़कर 45 लाख स्तर पर पहुंच गई है जबकि उत्पादन इससे बहुत कम हो रहा है।
इसके फलस्वरूप म्यांमार एवं अफ्रीकी देशों से इसके विशाल आयात की आवश्यकता पड़ती है। 2023-24 सीजन के लिए सरकार द्वारा तुवर का लगाया गया उत्पादन अनुमान भी संदेहास्पद है इसलिए आगे अरहर का अभाव महसूस हो सकता है।