iGrain India - मुम्बई । पिछले कुछ महीनों से नरम रहने के बाद खाद्य तेलों का घरेलू बाजार भाव अब पुनः तेज होने लगा है जिससे आम उपभोक्ताओं की कठिनाई एवं सरकार की चिंता बढ़ गई है।
इसे देखते हुए केन्द्र सरकार ने सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सी) से खाद्य तेलों का दाम घटाने के लिए कहा और एसोसिएशन ने अपने सदस्य से कीमतों में कटौती करने की अपील की है।
एसोसिएशन के अध्यक्ष का कहना है कि थोक मूल्य की तुलना में खाद्य तेलों का खुदरा बाजार भाव 20-25 प्रतिशत ऊंचा रहता है जो सही भी है क्योंकि खुदरा (रिटेल) मूल्य में परिवहन खर्च एवं मार्जिन आदि शामिल रहते हैं।
हाल के दिनों में परिवहन खर्च बढ़ा है और विदेशों से आयात की लगत बड़ी है जिससे खाद्य तेलों का दाम कुछ ऊंचा हुआ है। पिछले एक माह के दौरान सभी खाद्य तेलों के वैश्विक बाजार मूल्य में 20 से 40 डॉलर प्रति टन का इजाफा हो गया।
लाल सागर क्षेत्र में संकट उत्पन्न होने के बाद रूस, यूक्रेन एवं रोमानिया आदि यूरोपीय देशों से सूरजमुखी तेल का आयात अब लम्बे मार्ग से हो रहा है जिसमें समय और परिवहन खर्च अधिक लग रहा है।
सूरजमुखी तेल का आयात खर्च पहले भारतीय बंदरगाहों पर 900 डॉलर प्रति टन से भी कम बैठ रहा था जो अब बढ़कर 930-950 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गया है।
इसी तरह अल नीनो के प्रकोप से दक्षिण-पूर्व-एशिया के देशों में पाम तेल का उत्पादन प्रभावित हो रहा है जिससे इसकी कीमतों में भी तेजी आने लगी है।
'सी' के अध्यक्ष के अनुसार वैश्विक घटनाक्रम को देखते हुए खाद्य तेलों के दाम में 3-4 रुपए प्रति किलो से ज्यादा की कटौती करने की गुंजाईश नहीं दिखाई पड़ रही है।
क्रूड खाद्य तेलों का आयात करके उसकी रिफाइनिंग की जाती है और तब उसे बाजार में उतारा जाता है। इस बीच खाद्य तेलों के आयात में भी कमी आई है जिससे इसका स्टॉक 35 लाख टन से घटकर 25-27 लाख टन के बीच रह गया है।
चालू मार्केटिंग सीजन के शुरूआती दो महीनों नवम्बर एवं दिसम्बर 2023 के दौरान खाद्य तेलों का आयात कम हुआ है।
'सी' के अध्यक्ष का कहना है कि इस बार देश में सरसों का शानदार उत्पादन हो सकता है और जब इसके नए माल की जोरदार आवक शुरू होगी तब खाद्य तेलों और खासकर सरसों तेल के दाम पर दबाव कुछ बढ़ सकता है।