iGrain India - नई दिल्ली । जब केन्द्र सरकार ने एथनॉल निर्माण में गन्ना जूस, शुगर सीरप एवं बी-हैवी शीरा के उपयोग पर प्रतिबंध लगाने का संकेत दिया था तब ऐसा लगा कि चीनी के उत्पादन में कुछ सुधार आ सकता है क्योंकि आमतौर पर 35-40 लाख टन चीनी के समतुल्य गन्ना का उपयोग एथनॉल निर्माण में होने की संभावना व्यक्त की जा रही थी।
बाद में उद्योग के विशेष आग्रह पर सरकार ने 17 लाख टन चीनी का डायवर्जन एथनॉल उत्पादन में करने की स्वीकृति दे दी।
शीर्ष उद्योग संस्था- इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) के आंकड़ों से पता चलता है कि चालू मार्केटिंग सीजन में 1 अक्टूबर 2023 से 15 जनवरी 2024 के साढ़े तीन महीनों के दौरान देश में चीनी का कुल उत्पादन 149.52 लाख टन पर पहुंच सका जो 2022-23 सीजन की समान अवधि के उत्पादन 157.87 लाख टन से 5.28 प्रतिशत कम है।
जनवरी के अंत तक इस्मा द्वारा 2023-24 के सम्पूर्ण मार्केटिंग सीजन के लिए चीनी के कुल उत्पादन का दूसरा अनुमान जारी किए जाने की संभावना है।
उद्योग समीक्षकों का कहना है कि वर्तमान समय का मौसम गन्ना की फसल के लिए अनुकूल है जिससे उपज दर में सुधार आने के आसार हैं। इस्मा के एक बयान में कहा गया है कि उपयुक्त मौसम को देखते हुए उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र एवं कर्नाटक जैसे शीर्ष उत्पादक राज्यों के गन्ना आयुक्तों ने चीनी के अपने पिछले अनुमान अनुमान में 5 से 10 प्रतिशत तक का इजाफा कर दिया है।
इन उत्पादक राज्यों के उत्पादन अनुमान में होने वाली वृद्धि को देखते हुए इस्मा ने कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर चीनी का कुल उत्पादन पिछले अनुमान से कुछ बेहतर हो सकता है।
बयान के मुताबिक यदि सरकार 17 लाख टन की नियत मात्रा से ऊपर 10-12 लाख टन चीनी की अतिरिक्त मात्रा का उपयोग एथनॉल निर्माण में करने की अनुमति देती है तब भी न केवल चीनी का कुल उत्पादन घरेलू एवं खपत को पूरा करने के लिए पर्याप्त होगा बल्कि अगले मार्केटिंग सीजन के शुरूआती दो महीनों की जरूरतों के लिए भी इसकी समुचित मात्रा उपलब्ध रहेगी।