iGrain India - नई दिल्ली । पंजाब से राज्य सभा के एक सांसद ने सरकार से विभिन्न फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के निर्धारण में पंजाब को भी शामिल करने की मांग करते हुए कहा है कि कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की समिति में इस प्रान्त को प्रतिनिधित्व दिया जाना चाहिए। मालूम हो कि पंजाब केन्द्रीय पूल में चावल एवं गेहूं (खाद्यान्न) का सर्वाधिक योगदान देने वाला राज्य है।
राज्य सभा सांसद का कहना था कि सरकार को धान और गेहूं तक ही अपनी खरीद को सीमित नहीं रखना चाहिए बल्कि अन्य जिंसों को भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदना चाहिए ताकि सभी फसलों के उत्पादकों को राहत मिल सके।
उनका कहना था कि सरकार ने मक्का का एमएसपी 2090 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है जबकि इसक खुला बाजार भाव इससे काफी नीचे रहता है।
इसी तरह उन्होंने हैप्पी सीडर एवं बालेर जैसी फसल अवशेष मशीनों के लिए सब्सिडी हेतु बजट में उपयुक्त राशि का प्रावधान करने की मांग की ताकि नवीनीकृत ऊर्जा के निर्माण में उपयोग के लिए पराली को सही ढंग से हटाने तथा एकत्रित करने में सहायता मिल सके।
सांसद का कहना था कि आमतौर पर महंगाई और खासकर खाद्य महंगाई का स्तर बहुत ऊंचा है और इस पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। जबरदस्त महंगाई से आम लोगों को भारी कठिनाई हो रही है। कभी दाल-दलहन, कभी टमाटर, कभी प्याज, कभी खाद्य तेल और कभी चावल- गेहूं का बाजार भाव उछलकर नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच जाता है।
उल्लेखनीय है कि पंजाब में धान और गेहूं का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है और सरकारी एजेंसियों द्वारा केन्द्रीय बफर स्टॉक के लिए विशाल मात्रा में किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर इसकी खरीद की जाती है।
हालांकि सरकार खाद्य महंगाई को नियंत्रित करने के लिए अनेक कदम उठा रही है जिसका सार्थक परिणाम धीरे-धीरे सामने आ रहा है लेकिन कीमतों में पहले ही इतना ज्यादा इजाफा हो गया कि उसे समय स्तर पर लाना बहुत मुश्किल हो गया है। चावल का भाव अब भी तेज है जबकि गेहूं का थोक बाजार भाव सरकारी समर्थन मूल्य से ऊंचा चल रहा है। यही स्थिति दलहनों की भी है।