iGrain India - नई दिल्ली । भारत और ब्राजील दलहनों और खासकर उड़द एवं अरहर (तुवर) में द्विपक्षीय कारोबार को मजबूत बनाने की योजना पर काम कर रहे हैं। दरअसल भारत का प्लान है कि दलहनों के आयात के लिए किसी खास देश पर निर्भर न रहा जाए और विभिन्न वैकल्पिक स्रोतों पर ध्यान दिया जाए।
जहां तक मसूर का सवाल है तो ऑस्ट्रेलिया और कनाडा उसके स्थायी आपूर्तिकर्ता बन गए हैं इसलिए फिलहाल इसके आयात में कोई समस्या नहीं है। लेकिन तुवर एवं उड़द के आयात में संदेह रहा है। भारत में उड़द का आयात मुख्यत: म्यांमार से होता है।
वहां निर्यातक भारत की विवशता का नाजायज फायदा उठाने का प्रयास करने लगे हैं। इसी तरह तुवर के आयात में म्यांमार के साथ-साथ अफ्रीकी देश और खासकर मोजाम्बिक का रवैया बदल रहा है जहां इसका अच्छा उत्पादन होता है। इसके फलस्वरूप दलहन आयात में भारत म्यांमार एवं अफ्रीकी देशों पर निर्भरता घटाना चाहता है।
भारत स्थित ब्राजीलियन दूतावास के एक शीर्ष अधिकारी का कहना है कि भारत के साथ दलहनों में द्विपक्षीय व्यापार पर विस्तृत चर्चा हुई और खासकर उड़द तथा तुवर के सम्बन्ध में खाद्य सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए दोनों देशों में आपसी सहयोग को बढ़ाने की रणनीति पर विचार-विमर्श किया गया।
पारस्परिक व्यापार तथा सहयोग के विस्तार को प्रोत्साहित करने के लिए सभी संभावित तौर-तरीकों पर ध्यान दिया जाएगा। ब्राजील में उड़द का उत्पादन पहले से ही हो रहा है।
पिछले सप्ताह केन्द्रीय उपभोक्ता मामले सचिव ने कहा था कि भारत ने वर्ष 2023 में ब्राजील से 3 हजार टन उड़द का आयात किया जबकि चालू वर्ष के दौरान इसकी मात्रा बढ़कर 20 हजार टन पर पहुंच जाने की संभावना है।
घरेलू मांग एवं जरूरत को पूरा करने के लिए भारत को विशाल मात्रा में दलहनों का आयात करने की आवश्यकता पड़ती है। उन्होंने म्यांमार के उड़द निर्यातकों को आगाह भी किया था कि वे भारत की मजबूती का अनुचित फायदा उठाने का प्रयास न करें।
उल्लेखनीय है कि नवम्बर 2023 में उपभोक्ता मामले सचिव ने ब्राजील के अधिकारियों एवं बिजनेस मैन से दलहनों और खासकर तुवर तथा उड़द के उत्पादन पर अधिक से अधिक ध्यान देने का आग्रह किया था ताकि भारत में उसका निर्यात बढ़ाया जा सके। उनका कहना था कि भारत में इन दोनों दलहनों का उत्पादन घरेलू मांग एवं खपत से कम होता है जबकि भारत इसके आयात के लिए स्रोतों का विविधिकरण करना चाहता है।
गत सप्ताह की उपभोक्ता मामले सचिव ने ग्लोबल पल्स कॉन फेडरेशन (जीपीसी) एवं नैफेड द्वारा नई दिल्ली में आयोजित पल्सेस 2024 कांफ्रेंस में कहा था कि देश के 140 करोड़ उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर खाद्य उत्पादों की उपलब्धता सुनिश्चित करना आवश्यक है और इसके लिए हर संभव उपाय किए जा रहे हैं।
भारत मुख्य रूप से एक शाकाहारी देश है और यहां प्रोटीन युक्त दलहनों की मांग एवं खपत तेजी से बढ़ती जा रही है। इसके फलस्वरूप विशाल घरेलू उत्पादन के बावजूद यहां विदेशों से भारी मात्रा में दलहनों का आयात करना पड़ता है।