कोलकाता, 20 फरवरी (आईएएनएस)। पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष सुवेंदु अधिकारी को मंगलवार सुबह उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली में प्रवेश करने से रोके जाने के बाद उन्होंने फिर से कलकत्ता उच्च न्यायालय का रुख किया और तनावग्रस्त क्षेत्र में जाने की अनुमति मांगी।कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति कौशिक चंदा की एकल-न्यायाधीश पीठ ने सोमवार को नेता प्रतिपक्ष को संदेशखाली में उन स्थानों तक पहुंचने की अनुमति दी, जहां धारा 144 हटा दी गई है। इसके बाद जिला प्रशासन ने मंगलवार सुबह 12 नए स्थानों पर धारा 144 के तहत नए निषेधाज्ञा आदेश जारी किए।
इन 12 स्थानों में पांच नौका घाट शामिल हैं जो संदेशखाली के प्रवेश बिंदु हैं, जो मूल रूप से द्वीपों का एक समूह है।
जैसे ही नेता प्रतिपक्ष भाजपा विधायकों की एक छोटी टीम के साथ धमाखली में नौका घाट पर पहुंचे, उन्हें वहां मौजूद एक विशाल पुलिस दल ने रोक दिया।
अधिकारी और उनके सहयोगियों की टुकड़ी का नेतृत्व कर रहे पुलिस अधिकारियों के साथ तीखी नोकझोंक हुई, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
अधिकारी ने मीडियाकर्मियों से कहा, “मेरे पास संदेशखाली में चुनिंदा स्थानों पर जाने का वैध अदालती आदेश है। फिर भी मुझे वहां जाने की इजाजत नहीं दी जा रही है। मैंने अब कोलकाता में अपने वकील की सहायता से मामले में फिर से न्यायमूर्ति चंदा की पीठ का रुख किया है।"
माकपा पोलित ब्यूरो सदस्य बृंदा करात को भी ताजा निषेधाज्ञा का हवाला देते हुए धमाखली नौका घाट पर रोक दिया गया।
गुस्साई करात ने मीडियाकर्मियों से कहा, “यहां की पुलिस फरार तृणमूल कांग्रेस नेता शेख शाहजहां, जो ईडी के अधिकारियों पर हमले के पीछे का मास्टरमाइंड है, का पता नहीं लगा पा रही है, भले ही हमले को इतने दिन बीत गए हों। ऐसा इसलिए क्योंकि उन्हें सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस का संरक्षण प्राप्त है। लेकिन यहां की पुलिस हमें तनावग्रस्त क्षेत्रों में जाने से रोकने के लिए बहुत सक्रिय है।”
--आईएएनएस
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