iGrain India - हरारे । अफ्रीका महाद्वीप के दक्षिणी भाग में फरवरी का महीना पिछले अनेक फसलों में सबसे ज्यादा सूखा रहा जिससे कृषि फसलों को भारी क्षति हुई। बिजली का अभाव रहा और खाद्य महंगाई बढ़ गई जबकि पहले से ही महंगाई काफी ऊंचे स्तर पर मौजूद है।
फरवरी 2024 के दौरान जाम्बिया, बोत्सवाना एवं जिम्बाब्वे जैसे देशों में न्यूनतम वर्षा हुई। वर्ष 1981 के बाद फरवरी 2024 में सबसे कम बारिश दर्ज की गई। फिलहाल वर्षा का आंकलन उपग्रह से प्राप्त चित्र के आधार पर हुआ है जबकि अगले सप्ताह अंतिम आंकलन किया जाएगा।
समझा जाता है कि अल नीनो की वजह से दक्षिण अफ्रीकी देशों में बारिश कम हुई है और सूखे का गंभीर संकट उत्पन्न हुआ है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि अफ्रीका में न केवल सूखे बारम्बारता बढ़ रही है बल्कि यह लगातार विकराल भी होता जा रहा है।
यह जलवायु परिवर्तन का दुष्प्रभाव है। हालांकि विकसित देशों की अपेक्षा अफ्रीका में गैस उत्सर्जन बहुत कम होता है लेकिन फिर भी जलवायु परिवर्तन का उस पर गहरा असर देखा जा रहा है। जाम्बिया से राष्ट्रपति ने सूखा को राष्ट्रीय आपदा घोषित कर दिया।
वहां लगभग 45 प्रतिशत क्षेत्र में खड़ी फसलें सूखे की वजह से नष्ट हो गई जबकि मक्का की फसल परिपक्व होने लगी थी। जिम्बाब्वे में तो कई किसानों ने सूखे की वजह से खेती करना ही बंद कर दिया क्योंकि वहां सिंचाई का कोई और साधन नहीं है।
जहां फसलें लगी थीं वहां कटाई नहीं हो सकी क्योंकि- फसलें सूख गईं। जो कुछ बचा था वह पशु चारे के काम आ रहा है। जाम्बेजी नदी में गत वर्ष के मुकाबले अब महज एक- चौथाई पानी बचा हुआ है जबकि इसके पानी से हर लाइन को बिजली मिलती थी और इसकी आपूर्ति होती थी।
जाम्बिया में मक्का का भाव पिछले साल के मुकाबले फरवरी 2024 में 76 प्रतिशत उछल गया जबकि जिम्बाबवे में तो दिसम्बर से ही इसका भाव तेजी से बढ़ रहा है। कुछ क्षेत्रों में पिछले तीन माह के अंदर मक्का का दाम दोगुना बढ़ गया। वहां 11 लाख टन मक्का के आयात का प्लान है।