iGrain India - नई दिल्ली । अपने बजट में केन्द्रीय वित्त मंत्री ने सरसों, सोयाबीन, मूंगफली, सुजरमुखी एवं तिल जैसी तिलहन फसलों का घरेलू उत्पादन बढ़ाने के लिए एक सटीक रणनीति बनाने की बात कही थी जबकि प्रधानमंत्री ऑयल पाम का उत्पादन बढ़ाने की आवश्यकता पर जोर दे रहे हैं। दरअसल भारत पिछले कई वर्षों से दुनिया में खाद्य तेलों का सबसे बड़ा आयातक देश बना हुआ है।
2022-23 के मार्केटिंग सीजन (नवम्बर-अक्टूबर) तो इसका आयात तेजी से उछलकर 164.70 लाख टन के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया। खाद्य तेलों के आयात पर होने वाला वार्षिक खर्च भी बढ़कर 20 अरब डॉलर से ऊपर पहुंच गया है। पिछले मार्केटिंग सीजन में यह आयात खर्च 20.56 अरब डॉलर पर पहुंचा।
देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र एवं दक्षिणी राज्यों में पाम का उत्पादन बढ़ाने की भारी क्षमता एवं गुंजाईश मौजूद है। पूर्वोत्तर भारत में अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, मेघालय, आसाम, सिक्किम एवं पश्चिम बंगाल तथा दक्षिण भारत में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, तमिलनाडु एवं कर्नाटक में पाम की खेती के लिए मौसम एवं जलवायु अनुकूल है।
वहां इसके बागान का क्षेत्रफल बढ़ाने का भरसक प्रयास किया जाना चाहिए जहां तक सरसों का सवाल है तो इसके उत्पादन में हाल के वर्षों में अच्छी बढ़ोत्तरी हुई है मगर यह पर्याप्त नहीं है। देश में पाम तेल, सोयाबीन तेल एवं सूरजमुखी तेल का विशाल आयात होता है जिस पर अंकुश लगाने की जरूरत है।