iGrain India - नई दिल्ली । भारत से गैर बासमती सफेद चावल तथा 100 प्रतिशत टूटे चावल के व्यापारिक निर्यात पर प्रतिबंध लागू होने से इसके वैश्विक व्यापार पर असर पड़ना स्वाभाविक ही है क्योंकि पिछले एक दशक से भी अधिक समय से भारत दुनिया में चावल का सबसे प्रमुख निर्यातक देश बना हुआ है और वैश्विक निर्यात बाजार में 40-42 प्रतिशत तक का योगदान देता रहा है।
अंतर्राष्ट्रीय अनाज परिषद (आईजीसी) की नवीनतम मासिक (अप्रैल) रिपोर्ट के अनुसार 2023-24 सीजन के दौरान विश्व स्तर पर 51.20 करोड़ टन चावल का उत्पादन होने का अनुमान है जो 2022-23 सीजन के उत्पादन 51.40 करोड़ टन से 20 लाख टन कम है। 2024-25 के सीजन में उत्पादन बढ़कर 52 करोड़ टन के शीर्ष स्तर पर पहुंच जाने का अनुमान है।
आईजीसी की रिपोर्ट में चावल का वैश्विक कारोबार 2022-23 के 5.20 करोड़ टन से घटकर 5 करोड़ टन पर सिमटने का अनुमान लगाया गया है जिसका प्रमुख कारण भारत से इसके निर्यात में कमी आना है।
अगले मार्केटिंग सीजन (2024-25) में भी चावल के निर्यात की मात्रा में कोई बदलाव होने की संभावना नहीं जताई गई है। दिलचस्प तथ्य यह है कि कौंसिल ने चावल की वैश्विक खपत 2022-23 के 51.90 करोड़ टन से 10 लाख टन घटकर 2023-24 में 51.80 करोड़ टन रह वाले का अनुमान लगाया है।
चावल के प्रमुख निर्यातक देशों में भारत, थाईलैंड, वियतनाम, पाकिस्तान, अमरीका एवं म्यांमार आदि शामिल है। चीन चावल का सबसे बड़ा उत्पादन एवं खपतकर्ता देश है जहां विदेशों में भारी मात्रा में इसका आयात भी किया जाता है।
उपरोक्त देशों के अलावा इंडोनेशिया एवं बांग्ला देश सहित कई अन्य देशों में भी चावल का उत्पादन होता है। भारत से 2024-25 के सीजन में चावल का निर्यात काफी घटने की संभावना है क्योंकि सरकार फिलहाल सफेद गैर बासमती चावल के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटाने के मूड में नहीं है।