iGrain India - हैदराबाद । दक्षिण भरत के दो महत्वपूर्ण कृषि उत्पादक राज्य- आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना में बांधों- जलाशयों में पानी का स्तर घटकर इतना नीचे आ गया है कि वहां गंभीर जल संकट पैदा होने का खतरा बढ़ गया है। वैसे हाल के दिनों में तेलंगाना के कुछ भागों में अच्छी बारिश हुई है जिससे किसानों को कुछ राहत मिलने की संभावना है।
केन्द्रीय जल आयोग के आंकड़ों से पता चलता है कि तेलंगाना तथा आंध्र प्रदेश को पानी उपलब्ध करवाने वाले जलाशयों में कुल भंडारण क्षमता के मुकाबले केवल 7 प्रतिशत पानी बचा हुआ है जो सामान्य स्तर से भी 29 प्रतिशत कम है।
वहां नागार्जुन सागर, येलुरु, प्रियदर्शिनी जुराला, कद्दाम एवं तातीहस्ला जैसे महत्वपूर्ण जलाशय सूख गये हैं। इससे फसलों की सिंचाई एवं पेय जल के लिए पानी मिलना कठिन हो गया है।
पश्चिमी संभाग के 49 जलाशयों में पानी का भंडार केवल 9.696 बिलियन क्यूबिक मीटर रह गया है जो इसकी कुल भंडारण क्षमता 37.130 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) का महज 26.1 प्रतिशत है।
इसी तरह उत्तरी क्षेत्र के 10 जलाशयों में सिर्फ 5.618 बीसीएम पानी का स्टॉक बचा हुआ है जो कुल भंडारण क्षमता 19.663 बीसीएम का सिर्फ 29 प्रतिशत है।
महाराष्ट्र में जल स्तर सामन्य औसत से 18 प्रतिशत एवं कुल भंडारण क्षमता से 79 प्रतिशत नीचे है। इधर पंजाब में पानी का भंडार सामान्य स्तर से 27 प्रतिशत कम तथा कुल भंडारण क्षमता का 38 प्रतिशत मौजूद है। हिमाचल प्रदेश तथा राजस्थान के जलाशयों में भी पानी का स्तर घट गया है।
राहत की बात यह है कि देश के विभिन्न भागों में मानसून- पूर्व की अच्छी बारिश होने लगी है और इस बार दक्षिण-पश्चिम मानसून भी सही समय पर देश में पहुंचने का अनुमान लगाया गया है।
मौसम विभाग ने चालू वर्ष के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर सामान्य से अधिक वर्षा होने का अनुमान लगाया है जिससे खरीफ फसलों का बेहतर उत्पादनः होने के आसार हैं।
मानसून का समय जून से सितम्बर के बीच रहता है जब समूचे देश में खरीफ फसलों की जोरदार बिजाई होती है।