iGrain India - ब्रुसेल्स । यूक्रेन के साथ युद्ध में उलझे रूस तथा उसके सहयोगी देश- बेलारूस के कृषि उत्पादों का आयात यूरोपीय संघ में रुकवाने का जोरदार प्रयास किया जा रहा है। यूरोपीय संघ यूक्रेन का समर्थन कर रहा है और युद्ध ख़त्म करने के लिए रूस पर तरह-तरह का दबाव डाल रहा है।
नवीनतम जानकारी के अनुसार यूरोपीय संघ की परिषद (कौंसिल) ने रूस एवं बेलारूस से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से आयात होने वाले कृषि उत्पादों पर सीमा शुल्क की दर में नाटकीय बढ़ोत्तरी करने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया है। आयात शुल्क में हुई बढ़ोत्तरी 1 जुलाई 2024 से प्रभावी होगी जब रूस में नया मार्केटिंग सीजन आरंभ होगा।
नए प्रस्ताव के तहत रूस एवं बेलारूस से यूरोपीय संघ के सदस्य देशों में मटर, काबुली चना, सूरजमुखी, सरसों एवं सैफ्लावर के आयात पर समान रूप से 50 प्रतिशत का सीमा शुल्क लगेगा जबकि अभी तक इन उत्पादों को शुल्क मुक्त श्रेणी में रखा गया था। दिलचस्प तथ्य यह है कि आधिकारिक दस्तावेज में मसूर या सूखे खाद्य बीन्स का कोई जिक्र नहीं किया गया है।
इसी तरह कैनेरी सीड, बकव्हीट, फ़ोनियो तथा क्विनोआ में से प्रत्येक के आयात पर 95 यूरो प्रति टन की दर से सीमा शुल्क लगाया जाएगा। अभी तक इसमें से केवल कैनेरी सीड का आयात ही शुल्क मुक्त या जबकि ऑयन फ़ोनियो एवं क्विनोआ पर 37 यूरो प्रति टन का सीमा शुल्क लगा रहा था।
हालांकि रूस से गेहूं, मक्का, जौ तथा जई सहित कई अन्य कृषि उत्पादों का बड़े पैमाने पर निर्यात होता है मगर अभी केवल दलहन-तिलहन पर ही यूरोपीय संघ में आयात शुल्क बढ़ाने का फैसला किया गया है।
यूरोपीय संघ के अनेक देश रूस से भारी मात्रा में इन उत्पादों का आयात करते हैं कयोंकि यह सस्ता होता है। ऊंचे आयात शुल्क के प्रभावी होने पर दोनों पक्ष प्रभावित होंगे क्योंकि यूरोपीय संघ को अन्य देशों से महंगा उत्पाद खरीदना पड़ेगा।