iGrain India - मुम्बई । एफएमसीजी क्षेत्र की एक अग्रणी कम्पनी- हिंदुस्तान यूनीलीवर (एच यू एल) ने अपने ब्रांडेड साबुन के निर्माण में पाम तेल का उपयोग 25 प्रतिशत घटाने की योजना की घोषणा की है।
कम्पनी ने इसका कारण पाम तेल की बढ़ती कीमतों तथा पर्यावरण सम्बन्धी चिंताओं को बताया है। कम्पनी का इरादा पाम तेल के बजाए सस्ते विकल्पों का इस्तेमाल बढ़ाने का है।
लेकिन एशियन पाम ऑयल अलायंस (आपोआ) ने कम्पनी के इस निर्णय पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हुए कहा है कि इससे विश्व स्तर पर ऑयल पाम के लाखों उत्पादकों और खासकर छोटे-छोटे किसानों के हितों पर गहरा प्रतिकूल असर पड़ सकता है।
आपोआ ऑयल पाम उत्पादकों की आजीविका सुनिश्चित करने के लिए विश्व स्तर पर गंभीर प्रयास कर रहा है जबकि एचयूएल के निर्णय से इस प्रयास को भारी धक्का लग सकता है।
एशियन पाम ऑयल अलायंस (आपोआ) के महामंत्री ने हिंदुस्तान यूनी लीवर से इस निर्णय पर पुनर्विचार करने का आग्रह करते हुए कहा है कि इससे ऑयल पाम की खेती पर निर्भर रहने वाले लाखों छोटे-छोटे किसानों की आय बुरी तरह प्रभावित हो सकती है इसलिए इस फैसले को वापस किया जाना चाहिए।
आपोआ ने कम्पनी को एक पत्र भेजकर उसे अपनी चिंताओं से अवगत करवा दिया है। इसमें कहा गया है कि साबुन निर्माण में पाम तेल का अंश 25 प्रतिशत घटाया जाना व्यावहारिक नहीं है।
पत्र के अनुसार यह सही है कि पाम तेल का भाव अभी कोरोना-पूर्व के स्तर से ऊंचा चल रहा है मगर यह इनपुट लागत में हुई वृद्धि का नतीजा है। इसके अलावा सोया तेल एवं सूरजमुखी तेल की कीमतों में बदलाव का असर भी पाम तेल पर पड़ता है।