iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने गेहूं का घरेलू का घरेलू उत्पादन 2022-23 सीजन के 1105 लाख टन के रिकॉर्ड स्तर से बढ़कर 2023-24 के मौजूदा सीजन में 1129 लाख टन के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंचने का अनुमान लगाया है।
मंत्रालय का कहना है कि इस बार पंजाब, हरियाणा एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गेहूं की औसत उपज दर में जबरदस्त बढ़ोत्तरी हुई। लेकिन वास्तविक स्थिति पर गौर करने से पता चलता है कि इन तीनों प्रांतों में गेहूं की सरकारी खरीद नियत लक्ष्य से काफी पीछे रह गई।
ध्यान देने की बात है कि इस लक्ष्य में भी कोई भारी इजाफा नहीं किया गया था। दूसरी ओर मध्य प्रदेश में गेहूं की पैदावार एवं सरकारी खरीद में भारी गिरावट आई है। राजस्थान में भी नियत लक्ष्य से बहुत कम खरीद हुई है।
सरकार ने केन्द्रीय बफर स्टॉक में बढ़ोत्तरी हेतु अधिक से अधिक मात्रा में खरीद सुनिश्चित करने के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2022-23 सीजन के 2125 रुपए प्रति क्विंटल से 150 रुपए बढ़ाकर 2023-24 सीजन के लिए 2275 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया था लेकिन इसकी वास्तविक खरीद 265-266 लाख टन तक की पहुंच सकी जो पिछले वर्ष की कुल खरीद 262 लाख टन से 3-4 लाख टन ज्यादा है।
मध्य प्रदेश एवं राजस्थान में 125 रुपए के अतिरिक्त बोनस के साथ 2400 रुपए प्रति क्विंटल की दर से गेहूं खरीदा गया मगर फिर भी खरीद की मात्रा उत्साहवर्द्धक स्तर तक नहीं पहुंच सकी।
उद्योग-व्यापार क्षेत्र के विश्लेषकों का मानना है कि गेहूं उत्पादन का सरकारी अनुमान वास्तविकता से बहुत ऊंचा होता है और इसलिए खाद्य मंत्रालय को इसकी मांग एवं आपूर्ति के समीकरण का सही ढंग से आंकलन करने में कठिनाई होती है।
दरअसल गेहूं का संकट दूर करने के लिए सही अर्थों में कम से कम लगातार दो रबी सीजन के दौरान प्रदेश में गेहूं का बंपर उत्पादन होना आवश्यक है।
वर्ष 2022 से ही गेहूं तथा इसके मूल्य संवर्धित उत्पादों के निर्यात पर प्रतिबंध लागू है फिर भी इसका घरेलू बाजार भाव ऊंचा एवं तेज चल रहा है। ऐसी हालत में यह मानना कठिन है कि 2023-24 के वर्तमान रबी सीजन में गेहूं का घरेलू उत्पादन नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया।