iGrain India - गुंटूर । देश के दक्षिणी राज्य- आंध्र प्रदेश में किसान खरीफ फसलों की खेती के लिए आवश्यक तैयारी करने में व्यस्त है। इस बीच गुंटूर स्थित आचार्य एन जी रंगा कृषि विश्विद्यालय के कृषि बाजार सतर्कता केन्द्र ने राज्य में प्रमुख फसलों के लिए कीमतों के अनुमान का गहन अध्ययन- विश्लेषण करने के बाद संकेत दिया है
कि 2024-25 के खरीफ मार्केटिंग सीजन के दौरान राज्य में धान तथा मक्का के बजाए किसानों को दलहनों, मूंगफली, कपास, लालमिर्च एवं हल्दी की खेती से बेहतर एवं आकर्षक आमदनी हासिल हो सकती है।
दिलचस्प तथ्य यह है कि चालू वर्ष के दौरान राज्य में कपास का रकबा कुछ घटने का अनुमान लगाया जा रहा है क्योंकि इसकी तुलना में अन्य फसलें किसानों के लिए ज्यादा लाभदायक साबित हुई।
लेकिन बांग्ला देश, चीन एवं वियतनाम को भारत से रूई के निर्यात में बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है जिससे आगे इसका भाव मजबूत रहने के आसार हैं।
इसी तरह हल्दी के बेहतर निरयत प्रदर्शन के कारण इसका दाम ऊंचा रहने की संभावना है। इसके उत्पादन में भी कमी आई थी। जहां तक लालमिर्च की बात है तो तेजा वैरायटी की निर्यात मांग खासकर चीन काफी मजबूत है।
कृषि बाजार सतर्कता केन्द्र (एमिक) के अनुसार विभिन्न करकों के विश्लेषकों के आधार पर कृषि उत्पादों के भविष्यत मूल्य का अनुमान लगाया जाता है जिसमें उत्पादों का बकाया स्टॉक, संभावित बिजाई क्षेत्र, अनुमानित मांग एवं खपत तथा निर्यात एवं आयात का रुख आदि शामिल है।
सेंटर के अनुसार चालू वर्ष के दौरान आंध्र प्रदेश में खरीफ फलसों का कुल उत्पादन क्षेत्र 59.73 लाख हेक्टेयर पर पहुंचने का अनुमान है और लगभग सभी फसलों का बाजार भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य के आसपास स्थिर रहने की संभावना है। इससे किसानों को कुछ राहत मिल सकती है।