iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के तीसरे अग्रिम अनुमान में 2023-24 के रबी सीजन में गेहूं का घरेलू उत्पादन बढ़कर 1129 लाख टन के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंचने की संभावना व्यक्त की गई है
और इसकी सरकारी खरीद भी 3-4 लाख टन की वृदि के साथ 265-266 लाख टन पर पहुंची है लेकिन फिर भी सरकार को गेहूं पर भंडारण सीमा लागू करने का निर्णय लेना पड़ा जिसे आश्चयर्जनक कदम माना जा रहा है।
यह तथ्य भी ध्यान देने लायक है कि पिछले करीब दो साल से देश से गेहूं एवं इसके उत्पादों के व्यापारिक निर्यात पर प्रतिबंध लगा हुआ है। पिछले साल 1105.50 लाख टन गेहूं के घरेलू उत्पादन का अनुमान सरकार ने लगाया था।
सरकार ने 24 जून को गेहूं पर तत्काल प्रभाव से भंडारण सीमा लागू कर दिया जो 31 मार्च 2025 तक लागू रहेगा। विभिन्न संवर्ग के लिए एक निश्चित अवधि में एक निश्चित मात्रा में ही गेहूं का स्टॉक मौजूद होना चाहिए।
इस नियम का असर ऐसे बड़े-बड़े किसानों पर पड़ने की संभावना है जोर आगे और ऊंचा दाम मिलने की उम्मीद से गेहूं का ही स्टॉक रोक कर बैठे हैं क्योंकि मिलर्स एवं व्यापारी सरकार द्वारा नियत मात्रा से अधिक की खरीद नहीं करना चाहेंगे।
जिन व्यापारियों- स्टॉकिस्टों के पास इस निश्चित मात्रा से अधिक गेहूं का स्टॉक मौजूद है उसे जल्दी से जल्दी इस अतिरिक्त मात्रा की बिक्री सुनिश्चित करनी होगी।
सरकार को क्षण-क्षण बदलती नीतियों से उद्योग-व्यापार क्षेत्र में हमेशा अनिश्चितता का माहौल बना रहता है। वैश्विक निर्यात बाजार में भारत की विश्वसनीयता तेजी से घटती जा रही है और घरेलू बाजार में भी सरकारी नीतियों का प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है।
खाद्य महंगाई को नियंत्रित करने हेतु सरकार को आयात की उदार नीति लागू करनी चाहिए। भंडारण सीमा लगाने या निर्यात रोकने का निर्णय व्यावहारिक नहीं माना जाता है।