iGrain India - नई दिल्ली । एक अग्रणी संस्था- डब्ल्यू पी पी एस द्वारा आयोजित 'सीईओ कॉनक्लेव विजन 2030' को सम्बोधित करते हुए भारतीय रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन के अध्यक्ष प्रमोद एस० जैन ने घरेलू प्रभाग में गेहूं की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने के लिए इस पर आयात शुल्क में कटौती की जरूरत पर जोर दिया।
अध्यक्ष के अनुसार देश में गेहूं का अभाव नहीं है और आवश्यकता के अनुरूप इसका स्टॉक उपलब्ध है। सरकार इस तरह का दावा कर रही है लेकिन हकीकत यह है कि गेहूं उत्पादन के सरकारी आंकड़े एवं उद्योग-व्यापार के आंकड़े में काफी अंतर है।
सरकार को घरेलू प्रभाग में आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने के लिए यथा संभव जल्दी से जल्दी गेहूं पर आयात शुल्क में कटौती करनी चाहिए।
इसी तरह खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) को यथाशीघ्र दोबारा आरंभ करते हुए मिलर्स-प्रोसेसर्स को निश्चित मूल्य पर गेहूं का स्टॉक उपलब्ध करवाया जाना चाहिए।
प्रमोद जैन ने कहा कि गेहूं उत्पादों के निर्यात पर लागू प्रतिबंध को हटाया जाना चाहिए। देश में गेहूं की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने के लिए सरकार, विशेषज्ञों एवं अन्य सम्बन्धित संवर्गों / विभागों को एक साथ मिलकर काम करना होगा।
इस कॉनक्लेव में बोलते हुए डब्ल्यू पी पी एस के चेयरमैन अजय गोयल ने कहा कि चालू वर्ष के दौरान देश में 1100 लाख टन गेहूं के उत्पादन का अनुमान लगाया जा रहा है।
स्वदेशी गेहूं उद्योग पूरी तरह सरकारी नीतियों पर निर्भर है इसलिए सरकार तथा मिलर्स को एक-दूसरे के साथ सहयोग करना चाहिए। अजय गोयल ने कहा कि सरकार को 5 किलो एवं 10 किलो की पैकिंग में आटा के निर्यात की अनुमति प्रदान करनी चाहिए। इससे उद्योग को कुछ राहत मिलेगी।
उल्लेखनीय है कि वर्तमान समय में गेहूं पर 40 प्रतिशत का भारी-भरकम आयात शुल्क लगा हुआ है। पंजाब, हरियाणा एवं यूपी में किसानों के पास गेहूं का स्टॉक कम है।