iGrain India - मुम्बई । अब देश में एथनॉल का उत्पादन धीरे-धीरे गन्ना (चीनी) के बजाए मक्का एवं चावल जैसे अनाज की तरफ शिफ्ट हो रहा है। पहले खाद्यान्न से निर्मित एथनॉल की भगीदारी 37.4 प्रतिशत थी जो चालू वर्ष में बढ़कर 51 प्रतिशत पर पहुंच जाने की उम्मीद है।
दरअसल नवम्बर 2023 से आरंभ होकर अक्टूबर 2024 तक जारी रहने वाले वर्तमान मार्केटिंग सीजन के दौरान सरकार ने एथनॉल निर्माण में केवल 17 लाख टन चीनी के समतुल्य गन्ना के उपयोग की अनुमति दी है जो 2022-23 सीजन में हुए इस्तेमाल का आधा है।
सरकार का ध्यान इस बार खाद्य उद्देश्य के लिए चीनी का अधिक से अधिक उत्पादन सुनिश्चित करना था ताकि इसकी कीमतों में चुनावी वर्ष के दौरान चीनी का अधिक से अधिक उत्पादन सुनिश्चित करना था ताकि इसकी कीमतों में चुनावी वर्ष के दौरान कोई अप्रत्याशित बढ़ोत्तरी न हो सके।
भारत में चावल और गेहूं के बाद खाद्यान्न के संवर्ग में सर्वाधिक उत्पादन मक्का का ही होता है। एथनॉल निर्माण में उपयोग तेजी से बढ़ने के कारण इस मोटे अनाज का महत्त्व काफी बढ़ गया है और इसकी मांग तथा खपत लगातार तेजी से बढ़ती जा रही है।
सरकार ने पेट्रोल में एथनॉल के मिश्रण का लक्ष्य 20 प्रतिशत निर्धारित किया है और केवल गन्ना (चीनी) से निर्मित एथनॉल से यह लक्ष्य हासिल होना मुश्किल है। इसके फलस्वरूप मक्का से इसका उत्पादन बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है।
पिछले दिन सरकार ने टैरिफ रेट कोटा (टीआरक्यू) प्रणाली के तहत 5 लाख टन मक्का के आयात की स्वीकृति प्रदान की थी। घरेलू प्रभाग में भी मक्का की पैदावार बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है।
2024-25 के सीजन हेतु इसका न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाकर 2225 रुपए क्विंटल नियत किया गया है। चालू मार्केटिंग सीजन में 9 जून 2024 तक देश में कुल 357.12 करोड़ लीटर एथनॉल का उत्पादन हुआ जिसमें 181.38 करोड़ लीटर का निर्माण अनाज से किया गया।