iGrain India - नई दिल्ली । पिछले वित्त वर्ष के दौरान भारत से बासमती चावल का रिकॉर्ड निर्यात हुआ था और चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में भी निर्यात का प्रदर्शन बेहतर रहा।
सरकार इसका सिलसिला आगे भी बरकरार रखना चाहती है इसलिए उसने न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) में कटौती करने पर विचार पर कर रही है ताकि वैश्विक निर्यात बाजार में भारतीय निर्यातकों को ज्यादा कठिन प्रतिस्पर्धा का सामना न करना पड़े।
उल्लेखनीय है कि अगस्त 2023 में सरकार ने एकाएक बासमती चावल के लिए 1200 डॉलर प्रति टन का न्यूनतम निर्यात मूल्य (मेप) निर्धारित किया था जिससे इसका शिपमेंट अटकने लगा और घरेलू मंडियों में बासमती धान की कीमत भी नीचे आने लगी।
बाद में अक्टूबर में सरकार ने मेप को घटाकर 950 डॉलर प्रति टन नियत किया और तब निर्यात में जोरदार वृद्धि होने लगी। अब बासमती चावल का वैश्विक बाजार भाव घट गया है जिससे भारतीय निर्यातक को कठिनाई होने लगी है।
दरअसल आयातक देशों में भारी खरीद होने तथा भारत से जोरदार आपूर्ति होने के कारण बासमती चाल की कुछ किस्मो का वैश्विक बाजार भाव घटकर 950 डॉलर प्रति टन से नीचे आ गया है।
आयातक देशों में बासमती चावल का अच्छा खासा स्टॉक अभी मौजूद है इसलिए ने अब ऊंचे दाम पर इसकी खरीद के इच्छुक नहीं है।
निर्यातकों के अनुसार ऊंचे स्तर के मेप से घरेलू प्रभाग में आगामी खरीद मार्केटिंग सीजन के दौरान किसानों से बासमती धान की खरीद प्रभावित हो सकती है क्योकि मिलर्स एवं निर्यातक नीचे मूल्य पर इसकी खरीद करना चाहेगें।
इससे बासमती धान के उत्पादकों की आमदनी घट जाएगी। वैश्विक बाजार में पूसा 6 एवं पूसा 1509 किस्म के बासमती चावल का भाव घटकर अब 750-800 डॉलर प्रति टन पर आ गया है और पाकिस्तान के निर्यातक इसी मूल्य स्तर का ऑफर दे रहे हैं। इससे भारतीय चावल का निर्यात कारोबार प्रभावित होने की आशंका है।
समझा जाता है कि मंत्रियों की एक समिति की महत्वपूर्ण बैठक शीघ्र ही आयोजित होने वाली है जिसमें बासमती चावल के लिए नियत मेप को हटाने या घटाने का निर्णय लिया जा सकता है। इससे आगे चलकर बासमती धान के उत्पादकों को भी राहत मिलेगी।