iGrain India - करनाल । केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने अपने तीसरे अग्रिम अनुमान में 2023-24 के रबी सीजन के दौरान गेहूं का घरेलू उत्पादन बढ़कर 1129.20 लाख टन के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंच जाने की संभावना व्यक्त की है जो 2022-23 सीजन के अनुमानित उत्पादन 1105.50 लाख टन से 2.9 प्रतिशत ज्यादा है।
हरियाणा के करनाल में स्थित भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों का कहना है कि इस बार लम्बे समय तक ठंडा मौसम बरकरार रहने तथा नई एवं उन्नत प्रगति के बीच की बुआई अधिक क्षेत्रफल में होने से गेहूं की उपज दर तथा कुल पैदावार में अच्छी बढ़ोत्तरी हुई।
गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2022-23 के 2125 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 2023-24 के सीजन के लिए 2275 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किए जाने से किसानों को अपनी फसल की देखभाल अच्छी तरह से करने का प्रोत्साहन मिला।
संस्थान के अनुसार अनुकूल मौसम के कारण राष्ट्रीय स्तर पर गेहूं का औसत उत्पादकता 3615 किलो प्रति हेक्टेयर के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई।
संस्थान के एक प्रमुख कृषि वैज्ञानिक के अनुसार औसत उपज दर तथा कुल पैदावार दोनों ही मोर्चे पर ही जबरदस्त बढ़ोत्तरी काफी सुखद मानी जा सकती है। यह स्थिति तब हुई जब गेहूं का बिजाई क्षेत्र 314 लाख हेक्टेयर से घटाकर 312.30 लाख हेक्टेयर पर अटक गया।
उपलब्ध आंकड़ों से पता चलता है कि गेहूं के कुल घरेलू उत्पादन में पांच शीर्ष राज्यों- उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब, हरियाणा एवं राजस्थान का संयुक्त योगदान 91.6 प्रतिशत रहा जबकि शेष भागीदारी बिहार, महाराष्ट्र एवं गुजरात सहित अन्य प्रांतों की रही।
सिर्फ मध्य प्रदेश को छोड़कर बाकी चार शीर्ष उत्पादक राज्यों में गेहूं की उपज दर इस बार 3615 किलो प्रति हेक्टेयर के राष्ट्रीय औसत से ऊपर रही।
इसके तहत गेहूं की औसत उत्पादकता दर पंजाब में 5060 किलो प्रति हेक्टेयर, हरियाणा में 4674 किलो, राजस्थान 3938 किलो तथा उत्तर प्रदेश में 3804 किलो प्रति हेक्टेयर दर्ज की गई।