iGrain India - नई दिल्ली । उपभोक्ता मामले विभाग के आंकड़ों तथा व्यापारिक सूत्रों से पता चलता है कि केन्द्र सरकार घरेलू प्रभाग में आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने तथा कीमतों में तेजी पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से भंडारण सीमा या जो आदेश लागू किया है उसका कुछ असर पड़ने लगा है।
ध्यान देने की बात है कि सरकार ने पहले 21 जून को तुवर, देसी चना एवं काबुली चना पर और फिर 26 जून को गेहूं पर भंडारण सीमा (स्टॉक लिमिट) लागू किया था। दलहनों पर भंडारण सीमा 30 सितम्बर 2024 तक तथा गेहूं पर स्टॉक लिमिट 31 मार्च 2025 तक प्रभावी रहेगी।
उपभोक्ता मामले विभाग के आंकड़ों के अनुसार अखिल भारतीय स्तर पर गेहूं का औसत थोक बाजार भाव 1 अप्रैल से 26 जून के दौरान 1.3 प्रतिशत बढ़ गया लेकिन उसके बाद से अब तक इसमें 0.36 प्रतिशत की मामूली बढ़ोत्तरी हुई है।
वैसे प्राइवेट व्यापारियों का कहना है कि कीमतों में कोई खास कमी या नरमी नहीं आई है मगर इसमें तेजी पर कुछ हद तक ब्रेक अवश्य लगा है। कुछ क्षेत्रों (मंडियों) में गेहूं के दाम में थोड़ी बहुत तेजी दर्ज की गई।
इसका कारण मंडियों में गेहूं आपूर्ति कम होना तथा कुछ बड़े किसानों एवं स्टॉकिस्टों द्वारा अपने विशाल स्टॉक के कुछ भाग की बिक्री शुरू नहीं की जाती तब तक गेहूं के दाम में नरमी आना मुश्किल है।
सरकार ने कहा है कि जिन व्यापारियों, स्टॉकिस्टों एवं बिग चेन रिटेलर्स के पास निर्धारित मात्रा से अधिक गेहूं का स्टॉक मौजूद है ऊंचे 26 जून से एक माह (30 दिन) के अंदर उसे घटाकर नियत सीमा में लाना होगा।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार गेहूं की तुलना में दाल-दलहन बाजार पर भंडारण सीमा आदेश का ज्यादा असर पड़ा है। इसका कारण यह है कि ग्रीष्मकाल या गर्मी के महीनों के दौरान आमतौर पर दाल-दलहन की मांग कमजोर पड़ जाती है।
सरकार ने सभी प्रमुख दलहनों के आयात को शुल्क मुक्त कर दिया है। इसमें मूंग शामिल नहीं है क्योंकि इसके आयात पर प्रतिबंध लगा हुआ है। आयातकों को 45 दिनों से अधिक समय तक आयातित दलहनों का स्टॉक अपने पास नहीं रखने का निर्देश दिया गया है।