iGrain India - नई दिल्ली । भारत ने बासमती चावल के लिए ट्रेडमार्क प्रमाणन (सर्टिफिकेशन) का जो आवेदन न्यूजीलैंड में दिया था उसे वहां नामंजूर क्र दिया गया। यह ट्रेडमार्क सर्टिफिकेशन वस्तुत: भौगोलिक संकेतक (जीआई टैग) के समतुल्य होता है।
न्यूजीलैंड के इस निर्णय से भारत को झटका लगा है।उल्लेखनीय है कि इसे पूर्व ऑस्ट्रेलिया ने भी भारत के इसी आशय के एक आवेदन को अस्वीकार कर दिया था। अब दोनों देशों ने भारतीय आवेदन को अस्वीकृत कर दिया है।
न्यूजीलैंड के बौद्धिक सम्पदा कार्यालय (आई पी ओ एन जेड) भारतीय आवेदन को अस्वीकर करने का कारण बताते हुए कहा है कि खुशबूदार एवं लम्बे दाने वाले चावल का उत्पादन भारत से बाहर भी होता है और उत्पादकों को बासमती शब्द का उपयोग करने का वैध अधिकार है। इसलिए सिर्फ भारत को बासमती चावल के ट्रेडमार्क का प्रमाण पत्र देना कठिन है।
इससे पहले जनवरी 2023 में ऑस्ट्रेलिया ने भी भारत के आवेदन को अस्वीकार करते हुए कहा था कि बासमती चावल का उत्पादन केवल भारत तक सीमित नहीं है।
मालूम हो कि केन्द्रीय वाणिज्य मंत्रालय की अधीनस्थ एजेंसी- कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकार (एपीडा) ने पहले ऑस्ट्रेलिया में फिर न्यूजीलैंड में बासमती चावल के ट्रेडमार्क सर्टिफिकेट के लिए आवेदन दिया था।
ज्ञात हो कि यह एजेंसी न केवल भारतीय कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देती है बल्कि विदेशों में भारत के उत्पादों के लिए जीआई पंजीकरण का दायित्व भी निभाती है।
हालांकि ट्रेडमार्क सर्टिफकेशन का आवेदन नामंजूर होने के बावजूद इन दोनों देशों में भारतीय बासमती चावल के निर्यात पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा लेकिन वहां एकमात्र भारतीय बासमती चावल का ही कारोबार सुनिश्चित करने के प्रयास को धक्का अवश्य लगेगा।
न्यूजीलैंड के बौद्धिक सम्पदा कार्यालय ने वह अस्वीकार किया है कि भारत सरकार ने अपने उत्पाद के सांस्कृतिक एवं आर्थिक महत्व को बरकऱार रखने के लिए 'बासमती' शब्द की रक्षा करने का आग्रह किया मगर इस श्रेणी का चावल अन्य देशों में भी उत्पादित होता है।