iGrain India - नई दिल्ली । भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने पिछले दिनों कहा था कि देश के जिन 724 जिलों से बारिश का आंकड़ा एकत्रित किया जाता है इसने से 38 प्रतिशत जिलों में अब भी मानसून की वर्षा का अभाव देखा जा रहा है।
वैसे वर्षा की कमी वाले जिलों की संस्था में हाल के सप्ताहों में गिरावट आई है और उम्मीद की जा रही है कि अगले चार पांच दिनों में इनमें से अधिकांश जिलों में मानसून पहुंच जाएगा।
मौसम विभाग के मुताबिक यद्यपि चालू मानसून सीजन के दौरान देश के दक्षिणी क्षेत्र में सामान्य औसत से 13 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है लेकिन आंध्र प्रदेश एवं तेलंगाना के कुछ जिलों में वर्षा का अभाव महसूस किया जा रहा है।
तेलंगाना के कई भागों में पहले अच्छी वर्षा हुई मगर बाद में वहां मानसून काफी हद तक निष्क्रिय हो गया। दूसरी ओर तमिलनाडु और कर्नाटक के पास केरल में भी अच्छी बारिश हुई है।
दक्षिण-पश्चिम मानसून इस बार 30 मई को केरल के साथ-साथ पूर्वोतर क्षेत्र में भी पहुंचा था और जून के शुरूआती दिनों के दौरान आसाम तथा मेघालय के साथ कुछ अन्य निकटवर्ती इलाकों में अत्यन्त मूसलाधार बारिश होने से ब्रह्मपुत्र नदी में बाढ़ आ गई।
इसके बाद भी वहां (आसाम में) बाढ़ की विभीषिका बरकरार है। राज्य के 35 में से 29 जिलों में विनाशकारी बाढ़ का प्रकोप अभी जारी है।
पश्चिमोत्तर राज्यों में मानसून सबसे अंत में पहुंचता है। इस बार यह 2 जुलाई को पहुंच गया जबकि इसे 8 जुलाई को पहुंचना था। अभी राज्यों में बारिश का दौर आरंभ हो चुका है लेकिन प्रत्येक जिले में मानसून को पहुंचने में कुछ समय लग सकता है।
मौसम विभाग को भरोसा है कि 10 जुलाई तक मानसून दश के अधिकांश जिलों में पहुंच जाएगा जिससे वहां बारिश के अभाव का संकट दूर हो सकता है।
खरीफ फसलों की बिजाई मानसून की प्रगति के साथ ही जोर पकड़ती जा रही है। इस बार दलहन-तिलहन एवं मक्का की खेती पर किसानों का विशेष ध्यान रहने की उम्मीद है।