iGrain India - नई दिल्ली । हालांकि केन्द्र सरकार ने 2023-24 के रबी मार्केटिंग सीजन में गेहूं का घरेलू उत्पादन उछलकर 1129.20 लाख टन के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंचने का अनुमान लगाया है जो 2022-23 के रिकॉर्ड समीक्षित उत्पादन 1105.56 लाख टन से काफी अधिक है लेकिन मंडियों में हो रही आवक तथा सरकारी एजेंसियों की खरीद से प्रतीत होता है कि गेहूं का वास्तविक उत्पादन सरकारी अनुमान से काफी कम हुआ है।
अभी जून के अंत में रबी मार्केटिंग सीजन खत्म हुआ है मगर सरकारी क्रय केन्द्रों पर मध्य मई से ही गेहूं की नगण्य आवक हो रही थी। थोक मंडियों में उम्मीद से बहुत कम गेहूं आ रहा है।
भंडारण सीमा लागू किए जाने के बावजूद न तो गेहूं की आपूर्ति एवं उपलब्धता में कोई खास सुधार आया है और न ही कीमतों पर दबाव पड़ा है।
उद्योग व्यापार समीक्षकों के अनुसार शायद केन्द्रीय खाद्य मंत्रालय को अब हकीकत का एहसास हो गया है कि गेहूं की वास्तविक पैदावार कम हुई है।
भारतीय खाद्य निगम ने खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत गेहूं की साप्ताहिक ई-नीलामी आरंभ करने के सुझाव के साथ अपना ब्यौरा खाद्य मंत्रालय के पास भेज दिया है और अब वहां से इसकी स्वीकृति मिलने के इंतजार में हैं।
केन्द्रीय पूल में क़रीब 295 लाख टन गेहूं का स्टॉक है जबकि विभिन्न योजनाओं के लिए 184 लाख टन की वार्षिक जरूरत पड़ती है। इसका मतलब यह हुआ कि सरकार के पास करीब 120-125 लाख टन गेहूं के अधिशेष स्टॉक बचा हुआ है।
ज्ञात हो कि अप्रैल से मार्च तक की अवधि में 184 लाख टन गेहूं की जरूरत पड़ती है जबकि इसमें दो माह का समय कम हो चुका है।
अगर केन्द्रीय पूल से 50 लाख टन गेहूं की बिक्री की घोषणा होती है तो बाजार में आपूर्ति बढ़ सकती है मगर कीमतों में ज्यादा नरमी आने में संदेह बना रहेगा। पिछले वित्त वर्ष में 94 लाख टन गेहूं की बिक्री हुई थी।