iGrain India - इंदौर । हालांकि 2022-23 सीजन के मुकाबले 2023-24 के रबी सीजन के दौरान पंजाब, हरियाणा एवं उत्तर प्रदेश में गेहूं की औसत उपज दर में अच्छी बढ़ोत्तरी हुई लेकिन मध्य प्रदेश में यह घट गई।
इसके फलस्वरूप मध्य प्रदेश (एमपी) में गेहूं की पैदावार में भी करीब 12 लाख टन की गिरावट आ गई। मंडी बोर्ड के आंकड़ों से पता चलता है कि राज्य की 175 प्रमुख थोक मंडियों में इस बार केवल 59 लाख टन गेहूं की आवक हुई जो पिछले साल की आवक 64 लाख टन से 5 लाख टन कम रही।
इसमें से सरकारी एजेंसियों को महज 48 लाख टन गेहूं खरीदने का अवसर मिल सका। मंडियों में तथा सरकारी क्रय केन्द्रों पर गेहूं की आवक एवं खरीद-बिक्री कम होने का एक प्रमुख कारण यह माना जा रहा है कि प्राइवेट व्यापारियों ने मंडियों से बाहर किसानों से अच्छी मात्रा में ऊंचे दाम पर इसकी खरीद कर ली।
एक कृषि विशेषज्ञ के अनुसार इस वर्ष मध्य प्रदेश में फरवरी तथा मार्च का महीना अत्यन्त ग़र्म रहा जबकि वह फसल में दाना लगने, पुष्ट होने तथा पकने का समय होता है।
इसके अलावा बेमौसमी वर्षा एवं आंधी-तूफान से भी गेहूं की पैदावार एवं क्वालिटी प्रभावित हुई। जिन किसानों के गेहूं का जितना भाग खराब मौसम से प्रभावित हुआ उसे उसने सरकार को बेच दिया मगर अच्छी क्वालिटी का गेहुं या तो अपने पास रख लिया या ऊंचे दाम पर प्राइवेट व्यापारियों को बेचने का प्रयास किया। इससे सरकारी खरीद में भारी गिरावट आ गई।