iGrain India - नई दिल्ली । केन्द्र सरकार ने खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत गेहूं बेचने का जो निर्णय लिया है उससे उद्योग- व्यापार क्षेत्र न केवल संतुष्ट है बल्कि इसे चतुराईपूर्ण कदम भी मान रहा है।
सरकार ने गेहूं का न्यूतनम आरक्षित या आधार मूल्य एफक्यू के लिए 2325 रुपए रुपए प्रति क्विंटल तथा यूआरएस के लिए 2300 रुपए प्रति क्विंटल नियत किया है जो न्यूनतम समर्थन मूल्य 2275 रुपए प्रति क्विंटल से ऊंचा है।
एक उद्योग समीक्षक के अनुसार फ्लोर मिलर्स के लिए सरकार का यह निर्णय एक स्वागत योग्य कदम है और वे बड़ी बेसब्री से इसका इंतजार कर रहे थे।
इस बार गेहूं के लिए किराया भाड़ा अलग से जोड़ा जाएगा जिसकी मांग उद्योग पहले से ही कर रहा था। पिछली बार अखिल भारतीय स्तर पर गेहूं का मूल्य एक समान रखा गया था जिसके चलते उत्तरी भारत के प्राइवेट व्यापारियों की बिक्री कम हुई थी क्योंकि दक्षिणी भारत के फ्लोर मिलर्स / प्रोसेसर्स को सीधे खाद्य निगम से उसी मूल्य पर गेहूं की खरीद का अवसर मिल रहा था।
कीमतों में कोई अंतर नहीं होने से 2023-24 में ओएमएसएस के तहत गेहूं की बिक्री नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई। लेकिन इस बार वैपरियों को विगत वर्षों की भांति स्वतंत्र होकर अपना कारोबार करने का अवसर मिल जाएगा क्योंकि एक तो गेहूं का आरक्षित मूल्य ऊंचा रखा गया है और दूसरे, इस पर किराया भाड़ा अलग से लगेगा।
सरकार का यह कदम काफी चतुराई भरा है और इससे प्राइवेट व्यापारियों का गेहूं भी अधिक से अधिक मात्रा में बाजार में आएगा जिससे खाद्य निगम के गेहूं स्टॉक पर भार घट जाएगा। एक अन्य विश्लेषक के अनुसार यह सही है
कि भारतीय खाद्य निगम के गेहूं का बिक्री मूल्य प्रत्येक क्षेत्र में इस महत्वपूर्ण अनाज के प्रचलित स्थानीय भाव से नीचे है। यदि खाद्य निगम गैर उत्पादक राज्यों में गेहूं की पर्याप्त मात्रा का आवंटन करता है तो बाजार काफी हद तक स्थिर हो सकता है अन्यथा मार्केट में पुनः धीरे-धीरे तेजी-मजबूती का सिलसिला जारी रह सकता है।