iGrain India - नांदेड । देश के एक महत्वपूर्ण कृषि उत्पादक राज्य- महाराष्ट्र पर इस बार दक्षिण-पश्चिम मानसून कुछ ज्यादा ही मेहरबान दिख रहा है।
राज्य के विभिन्न भागों में नियमित रूप से अच्छी वर्षा हो रही है जबकि कुछ इलाकों में मूसलाधार बारिश की वजह से न केवल खरीफ फसलों की बिजाई में बाधा पड़ रही है बल्कि पहले हो चुकी बिजाई वाली फसल को नुकसान की आशंका भी बनी हुई है।
महाराष्ट्र इस बार ऐसे राज्यों की सूची में शामिल है जहां मानसून की वर्षा सामान्य औसत से ज्यादा हुई है। जिन इलाकों में सामान्य बारिश हुई है वहां खरीफ फसलों की बिजाई एवं हालत काफी अच्छी बताई जा रही है लेकिन अधिशेष वर्षा वाले क्षेत्रों में धान को छोड़कर अन्य फसलों की बिजाई करने में किसानों को भारी कठिनाई हो रही है।
अच्छी बात यह है कि राज्य में खरीफ फसलों की अधिकांश बिजाई पहले ही हो चुकी है। पिछले साल के मुकाबले इस बार महाराष्ट्र में तीनों प्रमुख फसलों- अरहर (तुवर), सोयाबीन एवं कपास के उत्पादन क्षेत्र में बढ़ोत्तरी होने की सूचना मिल रही है जबकि मक्का सहित अन्य फसलों का क्षेत्रफल सामान्य बताया जा रहा है।
महाराष्ट्र गन्ना एवं चीनी उत्पादन के लिए भी जाना जाता है। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय स्तर पर महाराष्ट्र अरहर का सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य माना जाता है जबकि सोयाबीन, कपास एवं गन्ना के उत्पादन में क्रमश: मध्य प्रदेश, गुजरात एवं उत्तर प्रदेश के बाद दूसरे नम्बर पर रहता है।
इस बार मानसूनी की अच्छी वर्षा के कारण महाराष्ट्र में किसानों द्वारा मोटे अनाजों के बजाए दलहन-तिलहन फसलों की खेती को प्राथमिकता दी जा रही है।
महाराष्ट्र में खरीफ कालीन हल्दी का उत्पादन भी बड़े पैमाने पर होता है। वहां मानसून की सक्रियता बरकरार है और इसलिए कई क्षेत्रों में बाद तथा खेतों में जल जमाव की समस्या देखी जा रही है।