iGrain India - इंदौर । स्वदेशी खाद्य तेल- तिलहन उद्योग एवं व्यापार क्षेत्र के एक महत्वपूर्ण संगठन- सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया (सोपा)का कहना है कि चालू वर्ष के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर सोयाबीन का उत्पादन क्षेत्र पिछले साल के लगभग बराबर ही रह सकता है।
सोपा की दो टीम द्वारा 10 से 16 जुलाई 2024 के दौरान तीनों शीर्ष उत्पादक राज्यों- मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र एवं राजस्थान के प्रमुख सोयाबीन उत्पादक जिलों में करीब 4500 कि०मी० तक फसल की बिजाई एवं स्थिति का सर्वेक्षण किया गया।
इस दौरान यह तथ्य सामने आया कि कुछ क्षेत्रों में किसानों ने सोयाबीन को छोड़कर मक्का एवं दलहन की खेती को प्राथमिकता दी जबकि कुछ अन्य इलाकों में अन्य खरीफ फसलों के बजाए सोयाबीन की बिजाई पर जोर दिया।
सोपा के अनुसार इस बार सोयाबीन के बिजाई क्षेत्र में भारी गिरावट आने की संभावना व्यक्त की जा रही थी लेकिन यह अभी तक सही नहीं पाई गई।
सोपा के आंकड़ों के अनुसार चालू खरीफ सीजन के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर सोयाबीन का कुल उत्पादन क्षेत्र 118.17 लाख हेक्टेयर पर पहुंच है।
इसके तहत बिजाई क्षेत्र मध्य प्रदेश में 51.29 लाख हेक्टेयर, महाराष्ट्र में 47.61 लाख हेक्टेयर, राजस्थान में 10.16 लाख हेक्टेयर, तेलंगाना में 1.40 लाख हेक्टेयर, कर्नाटक में 4.26 लाख हेक्टेयर, राजस्थान में 10.16 लाख हेक्टेयर, तेलंगाना में 1.40 लाख हेक्टेयर, कर्नाटक में 4.26 लाख हेक्टेयर, गुजरात में 2.56 लाख हेक्टेयर, छत्तीसगढ़ में 26 हजार हेक्टेयर तथा देश के अन्य प्रांतों में 63 हजार हेक्टेयर से कुछ अधिक रहा।
सोयाबीन की बिजाई अंतिम में पहुंच गई है। ध्यान देने की बात है कि केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने इस वर्ष मध्य मध्य प्रदेश में 52.34 लाख हेक्टेयर, महाराष्ट्र में 47.70 लाख हेक्टेयर, राजस्थान में 10.58 लाख हेक्टेयर,
तेलंगाना में 1.40 लाख हेक्टेयर, कर्नाटक में 4.26 लाख हेक्टेयर, गुजरात में 2.56 लाख हेक्टेयर, छत्तीगढ़ में 26 हजार हेक्टेयर तथा अन्य राज्यों में 63 हजार हेक्टेयर के साथ राष्ट्रीय स्तर पर सोयाबीन का कुल उत्पादन क्षेत्र 119.73 लाख हेक्टेयर पर पहुंचने का अनुमान लगाना है।
मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र तथा राजस्थान के बिजाई क्षेत्र के लिए सरकार एवं सोपा के आंकड़ों में थोड़ा अंतर है। वर्ष 2023 के दौरान कृषि मंत्रालय ने कुल 125.40 लाख हेक्टेयर में सोयाबीन की खेती का आंकड़ा दिया था जबकि सोपा का बिजाई क्षेत्र का आंकड़ा 118.55 लाख हेक्टेयर ही रहा था।