iGrain India - मुम्बई । जुलाई डिलीवरी के लिए भारतीय आयातकों का रिकॉर्ड मात्रा में खाद्य तेलों की खरीद का अनुबंध किए जाने की सूचना मिली है।
इसके तहत भारतीय रिफाइनर्स द्वारा पाम तेल एवं सोयाबीन तेल की कमी खरीद काफी बढ़ाई गई है क्योंकि एक तो इन तेलों का भाव आकर्षक स्तर पर चल रहा था और दूसरे, आयातकों को आशंका थी कि केन्द्रीय आम बजट में खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में वृद्धि की घोषणा कर सकती है।
लेकिन बजट में आयात शुल्क नहीं बढ़ाया गया। उद्योग-व्यापार क्षेत्र के समीक्षकों- विश्लेषकों के औसत अनुमानित आंकड़ों के अनुसार जुलाई 2024 के दौरान देश में खाद्य तेलों का कुल आयात जून की तुलना में करीब 26 प्रतिशत उछलकर 19.20 लाख टन के सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंच सकता है
जबकि चालू मार्केटिंग सीजन में नवम्बर 2023 से जून 2024 के दौरान खाद्य तेलों का औसत मासिक आयात केवल 12 लाख टन दर्ज किया गया। चालू मार्केटिंग सीजन अक्टूबर 2024 तक जारी रहेगा।
जानकार सूत्रों के अनुसार देश के विभिन्न बंदरगाहों से लगभग 14.50 लाख टन आयातित खाद्य तेलों की खेप को चालू माह में पिछले ही क्लीयरेंस देकर डिस्चार्ज किया जा चुका है जिसमें 8.50 लाख टन पाम तेल की खेप भी शामिल है।
डीलरों के अनुसार जून के मुकाबले-जुलाई 2024 के दौरान देश में पाम संवर्ग के क्रूड एवं रिफाइंड खाद्य तेलों का आयात करीब 45 प्रतिशत की जोरदार बढ़ोत्तरी के साथ 11.40 लाख टन की ऊंचाई पर पहुंचने का अनुमान है जो पिछले 20 महीनों में सबसे ज्यादा है।
दरअसल मई तथा जून में पाम तेल की कीमतों में गिरावट आने से यह प्रतिद्वंदी तेलों से सस्ता हो गया जबकि इस अवधि के दौरान भारत में रिफाइनिंग मार्जिन भी बेहतर रहने से रिफाइनर्स को जुलाई डिलीवरी के लिए विशाल मात्रा में पाम तेल एवं सोयाबीन तेल की खरीद का अवसर और प्रोत्साहन मिल जाएगा।
उल्लेखनीय है कि अप्रैल में पाम तेल एवं सोया तेल के बीच महज 10 डॉलर प्रति टन का मूल्यान्तर था मगर मई में यह उछलकर 100 डॉलर प्रति टन से भी ऊपर पहुंच गया।
इसका मतलब यह हुआ कि सोया तेल का भाव पाम तेल की तुलना में 100 डॉलर प्रति टन से ज्यादा ऊंचा हो गया।