iGrain India - नई दिल्ली । दक्षिण-पश्चिम मानसून फिलहाल देश के अनेक राज्यों में सक्रिय है जिसमें महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं उत्तर प्रदेश आदि शामिल है।
इन प्रांतों के अनेक जिलों में भारी वर्षा होने तथा बांधों के टूटने से विशाल क्षेत्रफल में पानी फ़ैल गया है जिससे खरीफ फसलों को गंभीर खतरा उत्पन्न होने की आशंका है।
महाराष्ट्र के मुम्बई, कोल्हापुर, पुणे, सतारा एवं चंद्रपुर आदि में बढ़ का नजारा देखा जा रहा है। खेतों में पानी भर जाने से फसलें डूब गई हैं। कुछ अन्य जिले भी बाढ़ से प्रभावित हैं। चिंता की बात यह है कि मौसम विभाग ने राज्य के कई क्षेत्रों में अगले 24 घंटे के दौरान बारिश का सिलसिला जारी रहने की संभावना व्यक्त की है।
इससे किसान काफी चिंतित नजर आ रहे हैं। ध्यान देने की बात है कि महाराष्ट्र कपास, सोयाबीन, अरहर तथा गन्ना आदि फसलों के अग्रणी उत्पादक राज्यों में शामिल हैं।
महाराष्ट्र के पड़ोसी राज्य- गुजरात एवं मध्य प्रदेश के कई जिले भी मूसलाधार वर्षा एवं खेतों में जल भराव की समस्या का सामना कर रहे हैं। गुजरात में सूरत, भरुच, राजकोट तथा नवसारी जिलों की हालत ज्यादा खराब है।
इसी तरह मध्य प्रदेश का दमोह, सागर, शिवनी तथा छत्तीसगढ़ का सुकमा जिला बाढ़ की चपेट में है। उत्तर प्रदेश में मुरादाबाद तथा हरियाणा में सोनीपत जिला को भी मूसलाधार बारिश का सामना करना पड़ रहा है।
बिहार तथा आसाम के अनेक जिलों में पहले से ही भयंकर बाढ़ का प्रकोप बना हुआ है। हालांकि कृषि फसलों एवं बागवानी उत्पादों को होने वाले नुकसान का आंकलन तो बाढ़ का पानी उतरने के बाद ही संभव हो सकेगा।
लेकिन जानकारों का कहना है कि जल भराव के संकट से ग्रस्त निचले इलाकों में यदि वर्षा का दौर जारी रहा तो हालात बिगड़ सकते हैं क्योंकि दलहन, तिलहन एवं कपास की फसलें लम्बे समय तक पानी के जमाव को सहन नहीं कर पाएंगी।