iGrain India - राजकोट । कॉटन यार्न एवं सूती वस्त्रों की निर्यात मांग में कमी आने से टेक्सटाइल मिलों में रूई की मांग कमजोर पड़ गई जिससे घरेलू बाजार में उसका दाम घटकर 60,000 रुपए प्रति कैंडी (356 किलो) से नीचे आ गया है। उद्योग समीक्षकों का कहना है कि अगस्त के दूसरे सप्ताह से कीमतों में कुछ सुधार आ सकता है।
बांग्ला देश में छात्रों के उपद्रव एवं आंदोलन के कारण जिसकी और भी जटिल से गई थी। इसमें करीब 150 लोग मारे गए और कुछ दिनों के लिए कारोबार ठप्प पड़ गया।
रायचूर के एक ब्रोकर का कहना है कि यार्न का कारोबार सुस्त पड़ गया है। थोड़ी-बहुत मात्रा में बांग्ला देश को इसका निर्यात हो रहा तह मगर छात्र आंदोलन के कारण वह भी बंद हो गया।
इसी तरह राजकोट के एक व्यापारी के मुताबिक केवल बांग्ला देश में भारतीय कॉटन यार्न की मांग बनी हुई थी मगर वहां कर्फ्यू लागू होने के बाद आयातकों ने भारत से माल मंगाना बंद कर दिया।
अब हालात धीरे-धीरे सुधर रहे हैं और उम्मीद की जा रही है कि मध्य अगस्त से वहां कारोबार पुनः पटरी पर लौट जाएगा।
सरकारी एजेंसी- भारतीय कपास निगम (सीसीआई) के पास करीब 20 लाख गांठ रूई का स्टॉक मौजूद है जिसे किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीदा गया था।
कमजोर मांग को देखते हुए निगम ने अपने स्टॉक की रूई के बिक्री मूल्य में 1800 रुपए प्रति कैंडी की कटौती कर दी है।
निर्यात के लिए बेंचमार्क किस्म की रूई शंकर - 6 का भाव 29 जुलाई को घटकर 56,800 रुपए प्रति कैंडी पर आ गया। कॉमोडिटी एक्सचेंज में कपास यानी गैर प्रसंस्कृत रूई का स्पॉट मूल्य गिरकर 1506.50 रुपए प्रति 20 किलो तथा राजकोट स्थित कृषि उत्पाद विपणन समिति (एपीएमसी) के परिसर यानी थोक मंडी में कपास में कपास का दाम 7505 रुपए प्रति क्विंटल रह गया।
उधर अन्तर्रष्ट्रीय बाजार में भी रूई का भाव गिरकर 70 सेंट प्रति पौंड से नीचे आ गया है। न्यूयार्क एक्सचेंज (आईपीई) में दिसम्बर डिलीवरी के लिए रूई का वायदा मूल्य पिछले दिन गिरकर 69.01 सेंट प्रति पौंड (45,800 रुपए प्रति कैंडी) पर आ गया।