iGrain India - नई दिल्ली । हालांकि चीनी के व्यापारिक निर्यात की अनुमति देने की उद्योग की मांग के प्रति सरकार ज्यादा गंभीर नहीं है लेकिन कुछ ऐसे कारक मौजूद है जो इस मीठी वस्तु के दाम को ऊंचा और मजबूत रखने में सहायक साबित हो सकते हैं।
पहली बात तो यह है कि त्यौहारी सीजन का पहला महीना होने के बावजूद अगस्त 2024 के लिए केन्द्रीय खाद्य मंत्रालय ने केवल 22 लाख टन चीनी का फ्री सेल (NS:SAIL) कोटा घोषित किया है
जो जुलाई 2024 के कोटा 24 लाख टन से 2 लाख टन तथा अगस्त 2023 के कोटा 23.50 लाख टन से 1.50 लाख टन कम है। अप्रैल से जून तक चीनी का विशाल फ्री सेल कोटा निर्धारित हुआ था।
अगस्त में चीनी की मांग एवं खपत में अच्छी बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है जबकि इसका फ्री सेल कोटा अपेक्षाकृत छोटा है।
जुलाई की भांति अगस्त का महीना भी 31 दिनों का होता है। देश में 21-22 लाख टन चीनी की खपत सामान्य महीनों में होती है। चीनी मिलों को अगस्त में अपना कोटा जल्दी-जल्दी बेचने के लिए विवश नहीं होना पड़ेगा।
केन्द्रीय खाद्य सचिव ने कहा है कि चीनी के एक्स फैक्ट्री न्यूनतम बिक्री मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोत्तरी करने के प्रस्ताव पर सरकार अगले कुछ दिनों में विचार कर सकती है।
उद्योग संगठनों द्वारा लम्बे समय से इसकी जोरदार मांग की जा रही है। यदि एमएसपी बढ़ाने पर कोई सकारात्मक निर्णय लिया गया तो बाजार पर (वस्तुतः उद्योग पर) इसका अनुकूल मनोवैज्ञानिक असर पड़ेगा और चीनी के दाम में कुछ इजाफा हो जाएगा।
यद्यपि राष्ट्रीय स्तर पर गन्ना का उत्पादन क्षेत्र गत वर्ष के 57.05 लाख हेक्टेयर से बढ़कर इस बार 57.68 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा है लेकिन सबसे प्रमुख उत्पादक प्रान्त- उत्तर प्रदेश के कुछ भागों में सूखा तथा कुछ अन्य इलाकों में बाढ़ का प्रकोप रहने से फसल को नुकसान होने की आशंका है।
महाराष्ट्र में भी जल भराव की समस्या है जो गन्ना का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। इस बीच डीलर्स-स्टॉकिस्ट चीनी की खरीद में दिलचस्पी दिखाने लगे हैं और आगे भी इसकी प्रक्रिया जारी रहने की उम्मीद है।