iGrain India - ब्यूनस आयर्स। लैटिन अमरीकी देश- अर्जेन्टीना के राष्ट्रपति ने हाल ही में सबसे बड़े कृषि मेले का दौरा करने के बाद कृषि उत्पादों पर लगे निर्यात शुल्क को घटाने या हटाने का अपना संकल्प दोहराया था लेकिन इसकी कोई समय सीमा निश्चित नहीं की थी।
उनका कहना था कि देश की अर्थ व्यवस्था में मजबूती आने पर इसके बारे में निर्णय लिया जा सकता है। कृषि अर्थ शास्त्रियों का कहना है कि वर्ष 2025 के अंतिम महीनों में इस बारे में कुछ फैसला हो सकता है मगर वह भी अनिश्चित ही है।
वर्तमान समय में अर्जेन्टीना में सोयाबीन पर 33 प्रतिशत, सोया तेल एवं सोयामील पर 31-31 प्रतिशत, मक्का तथा गेहूं पर 12-12 प्रतिशत तथा सूरजमुखी एवं इसके उत्पादों पर 7 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लगा हुआ है।
अर्जेन्टीना के मिलर्स को सोयाबीन एवं इसके उत्पादों पर लगे निर्यात शुल्क के बीच 2 प्रतिशत बिंदु के अंतर का फायदा मिलता है।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति ने अपने निर्वाचन के बाद उपरोक्त कृषि उत्पादों पर निर्यात शुल्क कम या खत्म करने का वचन दिया था लेकिन बाद में उन्होंने संसद के पास एक ऐसा विधेयक (कानून) भेजा जिसमें इन उत्पादों पर निर्यात शुल्क घटाने के बजाए अस्थायी रूप से बढ़ाने का प्रस्ताव रखा गया था।
दरअसल अर्जेन्टीना की वित्तीय स्थिति काफी कमजोर बनी हुई है और सरकार को निर्यात टैक्स से राजस्व बढ़ाने की सख्त जरूरत है।
वैसे डेयरी उत्पादों पर निर्यात शुल्क कम किया गया है मगर कृषि उत्पादों पर अभी इसे घटना या हटाना संभव नहीं दिख रहा है।
अर्जेन्टीना सोयाबीन, सोयातेल, सोयामील, मक्का तथा गेहूं एवं सूरजमुखी तेल के अग्रणी निर्यातक देशों में शामिल है। भारत में वहां से सोयाबीन एवं सूरजमुखी तेल का भारी आयात होता है।