iGrain India - इंदौर । मध्य प्रदेश और खासकर इंदौर संभाग में कॉटन जिनिंग इकाइयों ने आगामी मार्केटिंग सीजन के लिए अपनी तैयारियां आरंभ कर दी हैं। यह सीजन सितम्बर के अंतिम सप्ताह से शुरू होने वाला है।
वैसे रूई की मांग अनिश्चित रहने की संभावना है क्योंकि इसका दाम गैर प्रतिस्पर्धी होने से इस क्षेत्र में धारणा नरमी की बनी हुई है।
मध्य प्रदेश में कॉटन जिनिंग की लगभग 200 इकाइयां चालू हैं जिसमें से करीब 100 इकाइयां अकेले निमाड़ संभाग में क्रियाशील हैं।
खारगोन के एक जिनर का कहना है कि मिलों ने नए सीजन में कपास की जिनिंग (प्रोसेसिंग) के लिए तैयारी तो आरंभ कर दी है लेकिन इकाइयों की क्षमता का इतेमाल इस बार कुछ हद तक प्रभावित होने की आशंका है क्योंकि स्थानीय मिलों को ऊंचे मूल्य के कारण प्रतिस्पर्धा में टिके रहने के लिए कठिन संघर्ष करना पड़ेगा।
अन्य प्रांतों की तुलना में मध्य प्रदेश में मंडी टैक्स के कारण रूई का भाव कुछ ऊंचा रहता है जिससे इसके कारोबार की गति धीमी रहती है। राज्य में कपास तथा रूई- दोनों पर मंडी टैक्स वसूला जाता है।
उल्लेखनीय है कि मध्य प्रदेश की रूई (बिनौला रहित प्रसंस्कृत कपास) की खपत प्रांतीय बाजारों में होती है और अधिशेष स्टॉक को महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश तथा तमिलनाडु जैसे राज्यों में भी भेजा जाता है।
जिनर्स का कहना है कि मंडी टैक्स किसी भी हालत में 0.50 प्रतिशत से ऊंचा नहीं होना चाहिए जबकि मध्य प्रदेश में यह 1.20 प्रतिशत लागू है।
अन्य राज्यों को रूई बेचना दिनों दिन मुश्किल होता जा रहा है क्योंकि मध्य प्रदेश में इसका दाम अपेक्षाकृत ऊंचा रहता है।
इसके फलस्वरूप प्रोसेसिंग एवं जिनिंग उद्योग को अपनी प्रोसेसिंग की क्षमता घटाने के लिए विवश होना पड़ता है।
सितम्बर के अंत या अक्टूबर के आरंभ से मध्य प्रदेश की मंडियों में नई कपास की आवक शुरू होने की उम्मीद है। इस बार बिजाई क्षेत्र सामान्य है और फसल की हालत संतोषजनक बताई जा रही है।